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एनएच 527 डी पर 10 किमी जाने में लग रहे पांच दिन

रक्सौल : राष्ट्रीय राजमार्ग 527 डी पर दो दिनों से परिचालन पूरी तरह से ठप है. 20 किलोमीटर से अधिक लंबा जाम लगा हुआ है. वह लगातार बढ़ता जा रहा है. गुरुवार से नवरात्र का पर्व शुरू हुआ और शहर में दूध की गाड़ी नहीं पहुंच रही है. आवश्यक डाक व पैसा डाकघर तक नहीं […]

रक्सौल : राष्ट्रीय राजमार्ग 527 डी पर दो दिनों से परिचालन पूरी तरह से ठप है. 20 किलोमीटर से अधिक लंबा जाम लगा हुआ है. वह लगातार बढ़ता जा रहा है. गुरुवार से नवरात्र का पर्व शुरू हुआ और शहर में दूध की गाड़ी नहीं पहुंच रही है. आवश्यक डाक व पैसा डाकघर तक नहीं पहुंच रहा है. दूध की गाड़ी गुरुवार को मुजफ्फरपुर से रक्सौल के लिए चली थी,

लेकिन सुगौली से ही लौट जाना पड़ा. इस कारण उपवास करनेवालों को परेशानी हो रही है. रक्सौल बाइपास से जैसे ही एनएच 527 डी पर लोग जान जोखिम में डाल वाहनों को आगे बढ़ा रहे हैं, दिनभर में 100 मीटर की दूरी भी तय नहीं कर पा रहे हैं. जो वाहन निकालने की कोशिश कर रहे हैं या तो वाहन फंस जा रहा है या फिर दुर्घटनाग्रस्त हो जा रहा है. 15 किलोमीटर की दूरी तय करने में यात्रियों को 40 रुपये का खर्च आ रहा है. एनएच से होकर कोई भी सवारी गाड़ी नहीं चल पा रही है.

नवका टोला के पास कुछ ऑटो एनएच से होकर गुजरने की कोशिश कर रहे थे. लोग धक्का लगा कर कुछ दूरी तक ले जा रहे थे, लेकिन अंतिम रूप से वह अपनी गाड़ी को रामगढ़वा तक नहीं ले जा पा रहे थे. ट्रक चालकों का कहना था कि दिल्ली, सूरत, कोलकाता, इंदौर से रामगढ़वा तक पहुंचने में तीन से पांच दिन का समय लग रहा है.रामगढ़वा से 10 किमी की दूरी नवका टोला तक पहुंचने में पांच से छह दिन लग चुका है. अब भी रक्सौल की दूरी छह किलोमीटर है. जरूरी चीजों के दाम बढ़े वाहनों के रक्सौल में नहीं आने से आवश्यक सामान का दाम बढ़ गया है. लोग ट्रैक्टर से रामगढ़वा से दाल रक्सौल ला रहे हैं. एनएच पर ट्रैक्टर चालक को भी चलने में परेशानी महसूस हो रही है.

2011 में हुआ था टेंडर
एनएच 527 डी को बनाने के लिए अप्रैल, 2011 में टेंडर हुआ था. उस समय यह एनएच 28 ए के नाम से जाना जाता था. सड़क बनाने का आखिरी समय नवंबर, 2014 था. सड़क समय पर नहीं बनाये जाने पर कांट्रैक्टर तांतिया कंस्ट्रक्शन को अप्रैल, 2015 तक का एक्सटेंशन मिला. अब तक मात्र 55 फीसदी काम ही पूरा किया जा सका है.

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