गया : खेती से आमदनी कम होने की बात हर ओर से सुनने को मिलती है. इसके बाद भी एक युवा किसान इस तरह की सारी मिथ्या को झुठलाते हुए अपनी जमीन नहीं होने के बाद भी लाखों रुपये हर माह कमा रहा. हम बात कर रहे युवा किसान धर्मेंद्र प्रजापति की. धर्मेंद्र सीजन नहीं होने के बाद भी फल व सब्जी को बाजार में आर्गेनिक तरीके उपजा कर पहुंचा रहे हैं. धर्मेंद्र बताते हैं कि उनके नाम पर एक धूर जमीन नहीं है. वे लीज पर जमीन लेकर खेती करते हैं. उनकी हर वक्त कोशिश रहती है कि बेहतर किस्म के बीज को ही लगाया जाये, ताकि बाजार में फल व सब्जी का अच्छा मूल्य मिल सके.

55 बीघा में कर रहे खेती
शहर के वार्ड नंबर 29 के चंदौती के घुटिया मुहल्ले में 55 बीघा में खेती की जा रही है. फिलहाल यहां पर उन्नत किस्म के तारबूज, खरबूज, पपीता, कद्दू, आदि उपजाया जा रहा है. तारबूज की नामधारी देशी, खरबूज मुस्कान, सरस्वती जन्नत तारबूज, बॉबी व मधुराम किस्म के नस्ल को पैदा किया जा रहा है. आठ से 10 दिनों में दोनों में फल मार्केट जाने लगेंगे. इस उन्नत किस्म के फल को तैयार करने में करीब 65 दिनों का समय लगता है. खरबूज में बॉबी किस्म का अधिक दाम बाजार में मिल जाता है. साधारण खरबूज की कीमत अगर 30 रुपये प्रति किलो होती है, तो एक किलो बॉबी खरबूज की कीमत 60-70 रुपये तक होती है. इसके साथ ही डोभी में भी लीज पर 50 बीघा जमीन लेकर खेती शुरू कर दी है.
इस तरह से खेती में मिलती है दोगुना आमदनी
धर्मेंद्र बताते हैं कि माह के हिसाब से देखा जाये, तो उनकी आमदनी तीन लाख रुपये हो जाती है. एक लाख अगर फसल उपजाने में इस विधि से पूंजी लगाते हैं. इसमें मजदूरी, बीज, पटवन आदि सब कुछ शामिल रहता है. फसल तैयार होने पर उसमें तीन लाख रुपये तक आ जाते हैं. तरबूज व खरबूज में आमदनी थोड़ी अधिक होती है. फिलहाल छह एकड़ में तरबूज व खरबूज की खेती की है. 65 दिनों के इस खेती में 22 लाख रुपये तक आयेंगे.
देश में चिप्स का पैकेट बनाने वाली कंपनी को देते हैं आलू
धर्मेंद्र ने बताया कि चिप्स का आलू इस बार अच्छा हुआ है. देश में चिप्स का पैकेट तैयार करनेवाली नामी-गिरामी कंपनी को चिप्स वाले आलू की सप्लाइ देते हैं. यह आलू एक विशेष किस्म का होता है. इस बार उक्त किस्म के 600 क्विंटल आलू का उत्पादन उनके पास हुआ है. पिछले कई वर्षों से ये चिप्स के आलू की सप्लाइ दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि सामान्य आलू की कीमत अगर 20 रुपये है, तो यह आलू 40 रुपये कंपनी खरीद लेती है.
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बहुत सारे लोगों को मिल रहा है रोजगार
इतने बड़े पैमाने पर खेती करने से बहुत सारे लोगों को रोजगार भी मुहैया कराया जा रहा है. श्री प्रजापति बताते हैं कि हर दिन 30-40 लोग इनके खेत में काम करते हैं. बाजार में भेजने लायक फसल होने के बाद प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कई लोगों को रोजगार मिलता है.