बक्सर. जिले में किसानों से सरकारी गेहूं खरीद का कार्य गति नहीं पकड़ रहा है. आलम यह है कि क्रय शुरू होने के तकरीबन डेढ़ माह में सहकारिता विभाग द्वारा मात्र 55.90 मीट्रिक टन गेहूं की खरीदारी हुई है. यह आंकड़ा जिले को मिले लक्ष्य का एक प्रतिशत से भी कम है. क्योंकि, रबी विपणन वर्ष 2025-026 में बक्सर जिले को 6137 एमटी गेहूं खरीदारी का लक्ष्य मिला है. ऐसे में गेहूं खरीदारी में तेजी नहीं आने से पिछले साल की तरह इस बार भी लक्ष्य मिलना मुश्किल लग रहा है. सहकारिता विभाग द्वारा विकेंद्रीकृत प्रणाली के तहत एक अप्रैल से गेहूं की खरीदारी शुरू की गयी है. इसके लिए जिले में 133 क्रय केंद्र खोले गये हैं जिनमें 125 पैक्स व आठ व्यापार मंडल शामिल हैं. पंचायत स्तर पर गेहूं खरीद की जिम्मेदारी पैक्स एवं प्रखंड स्तर पर व्यापार मंडल को मिली है, परंतु इन केंद्रों पर गेहूं की आमद नहीं होने से वीरानगी पसरी है. एमएसपी पर करनी है खरीदारी : गेहूं खरीद योजना के तहत राज्य के किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं का क्रय किया जाना है. केंद्र सरकार द्वारा चालू रबी विपणन वर्ष के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है. किसानों की मानें तो न्यूनतम समर्थन मूल्य से गेहूं का बाजार मूल्य अधिक है. बाजार मूल्य 2525 से 2550 रुपये प्रति क्विंटल तक होने के कारण व्यापारियों के हाथों गेहूं बेचना किसान फायदेमंद समझ रहे हैं.
634 किसानों का हुआ है रजिस्ट्रेशन
गेहूं बेचने के लिए किसानों को विभागीय वेबसाइट पर ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है, जहां गेहूं बेचने के इच्छुक किसान रजिस्ट्रेशन के माध्यम से अपना आवेदन करते हैं. सहकारिता विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक कुल 766 किसानों का ऑन लाइन निबंधन किया गया है, जिसमें से केवल 45 किसानों से गेहूं की खरीदारी हुई है. डुमरांव प्रखंड अव्वल : गेहूं खरीदने में डुमरांव प्रखंड डुमरांव प्रखंड अव्वल है. डुमरांव में पांच कृषकों से 21. 100 एमटी क्रय हुआ है. इसी तरह आठ किसानों से 8.800 एमटी गेहूं क्रय कर नावानगर प्रखंड दूसरे तथा चार किसानों से 4.900 एमटी क्रय कर राजपुर प्रखंड तीसरे पायदान पर है, जबकि चौगाईं प्रखंड में सबसे कम मात्र एक एमटी गेहूं की खरीदारी हुई है.
क्या कहते हैं अधिकारी
गेहूं खरीद का लक्ष्य पाने के लिए विभाग एड़ी चोटी का दम लगाये हुए है. इसके लिए पदाधिकारियों को टास्क भी दिया गया है, लेकिन समितियों को किसान अपना गेहूं बेचना नहीं चाहते हैं. क्योंकि, गेहूं का बाजार भाव सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक है.
चंद्रमा राम, डीसीओ, बक्सरडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है