चौसा. गंगा नदी का जल स्तर लाल निशान से ऊपर बह रहा है. जिसके दबाव से कर्मनाशा नदी में बाढ़ से बनारपुर, सिकरौल के बाद रोहिनीभान और जलीलपुर गांव के लोगों में एक बार फिर बाढ़ जैसी विभिषिका का खौफ कायम हो गया है. गंगा नदी का पानी बढ़ने का अनुमान है. हालांकि प्रशासन द्वारा क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति का लगातार जायजा लिया जा रहा है. आपदा प्रबंधन की टीम उक्त गांवों में लगातार संपर्क बनाए हुए है. जिस प्रकार बनारपुर, सिकरौल, जलीलपुर, रोहिनिभान गांवों के उत्तरी इलाके जलमग्न हो चुके है और जलस्तर में वृद्धि को देख लोग काफी भयभीत है. गंगा का पानी खतरे के निशान के पार कर जाने के चलते गंगा के पानी का दबाव से कर्मनाशा नदी का पानी लगातार बढ़ने से बनारपुर गांव के निचले हिस्से में बाढ़ का पानी भर गया है. पिछले चार दिनों से गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ने सिकरौल गांव के पास तक जा पहुंचा है. और गांव के निचले हिस्से की कई झोंपड़ियों में बाढ़ का पानी घुस गया. चौसा-मोहनियां मार्ग से सिकरौल गांव में जानेवाली लिंक रोड पर तीन फीट तक पानी चढ़ गया जिससे गांव वालों को गांव में आने जाने में काफी फजीहत झेलनी पड रही है. लोगों का कहना है कि अगर नदी का जलस्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो हजारों की आबादी वाले उक्त गांव बाढ़ के पानी से पुरी तरह घिर सकता है. वैसे भी गांव का उत्तरी ईलाका पुरी तरह जलमग्न हो चुका है. गंगा नदी में बाढ़ के दबाव से कर्मनाशा नदी में बाढ़ आने से बनारपुर गांव के निचले हिस्से में रिहायशी इलाके में दर्जनों घरों तक बाढ़ का पानी घूस चुका है. गंगा नदी के जलस्तर में जारी बढ़ोत्तरी से गंगा में उफान की आशंका बढ़ने लगी है. बताया जा रहा है कि पिछले चार दिनों से गंगा नदी के पानी में काफी इजाफा हुआ है. गंगा नदी में पहले आई बाढ़ से चौसा गंगा नदी और कर्मनाशा नदी के किनारे खेतों में लगी हजारों एकड़ खेतों में लगी लाखों की सब्जी, अरहर, ज्वार व धान की फसले पानी में डूबकर बर्बाद हो गयी थी. उधर कर्मनाशा नदी के दबाव के चलते जलीलपुर व रोहिनिभान गांव के निचले हिस्से में बसे दर्जन भर झोंपड़ियों में पानी घुस गया है. सैकड़ों एकड़ खेतों में लगी फसले डूब चुकी है. बाढ़ का पानी थर्मल पावर एरिया समेत महर्षि च्यवन महाविद्यालय के कैंपस में घुस गया है. और अखौरीपुर गोला के पास चौसा-मोहनियां हाइवे पर दो से ढाई फीट तक बाढ़ का पानी चढ़ गया है. लोगों को आने जाने में काफी परेशानी उठानी पड़ रही है.
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