राजपुर
. प्रखंड के सभी गांव में गेहूं फसल की कटनी हो जाने के बाद खेतों में पड़े डंठल को लगातार किसान खाली पड़े खेतों में आग लगाकर जला रहे हैं. इससे निकलने वाला धुआं वायुमंडल में जहर तो घोल ही रहा है. इस आग की लौ की चपेट में आने से क्षेत्र के विभिन्न गांव में लगे सैकड़ों पेड़ भी झुलस गए हैं. झुलसे हुए पेड़ों को जहां उखड़ जाने की संभावना है. इन पेड़ों पर घोंसला बनाकर रहने वाले पक्षियों का घर भी उजड़ गया है. यह नजारा ईंटवा देवढिया मुख्य पथ किनारे लगे हरे पेड़ को देखा जा सकता है.इसके अलावा कई अन्य जगहों पर चोरी-छिपी पेड़ों की कटाई करने के साथ ही आग से झुलस कर सूखने लगे हैं. बीते कुछ वर्षों में क्षेत्र के सभी गांव में मौजूद आम के बगीचों की अंधाधुंध कटाई कर दी गयी. इसके कारण पर्यावरण में हो रहे बदलाव को रोकने के लिए सरकार के तरफ से जल जीवन हरियाली योजना चलायी जा रही है.इसके तहत वायुमंडल में हो रहे परिवर्तन को रोकने व भूमिगत जल स्तर को बढ़ाने के लिए गांव-गांव में मनरेगा योजना के तहत पोखरा खुदाई का काम किया जा रहा है. इन पोखरों के किनारे वृक्षारोपण भी किया जा रहा है. इसके लिए व्यक्तिगत तौर पर भी किसान अपने जमीन पर पौधारोपण कर सरकारी योजना का लाभ ले रहे हैं. इस योजना के तहत किसी व्यक्ति के निजी जमीन पर या सरकारी जमीन पर पोखरा खुदाई एवं पौधारोपण कराने पर प्रति यूनिट अथार्त 200 पौधों की रखवाली करने के लिए एक वन सेवक व सिंचाई के लिए साधन भी लगाया गया है. इसके लिए सरकार के तरफ से करोड़ों रुपए खर्च किया जा रहा हैं. पिछले ग्यारह वर्ष के दौरान क्षेत्र में जितने भी पौधे लगाए गए है.उनके रखरखाव के लिए कोई व्यवस्था नहीं किया गया है. सरकार के तरफ से निर्देश है कि कोई भी किसान खेतों में बेकार पड़े डंठल को नहीं जलायेंगे. इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति का भी ह्रास होता है. बावजूद किसान खेत में डंठल को जला रहे हैं. फिलहाल इन पेड़ों की रखवाली करने वाला कोई नहीं है. जिससे कभी भी यह पेड़ आग की चपेट में आकर झुलस जा रहे है. अभी तक विभाग के तरफ से कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गयी है. पेड़ों की रखवाली के लिए वन विभाग के कर्मियों की नियुक्ति की गयी है. यह कभी भी क्षेत्र भ्रमण कर जायजा नहीं ले रहे हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है