राजपुर. विधानसभा क्षेत्र में चुनावी सियासत का रंग चढ़ने लगा है. हर गांव में अपने जातीय समीकरण को गोल बंद करने में राजनीतिक योद्धा लग गये हैं. यहां की सुरक्षित सीट हर बार बदलता रहा है. ऐसा माना जाता है कि इस विधानसभा क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी एक समय में काफी मजबूत थी. जिसके बलबूते वर्ष 2000 में जीत भी दर्ज किया. बदलते चुनावी समीकरण एवं वादे पर खरा नहीं उतरने पर यहां की जनता ने नाकारा और यह सीट जदयू के पाले में चली गयी. तब से लगातार 2020 तक इस सीट पर जदयू के दिवंगत विधायिका श्याम प्यारी देवी एवं संतोष कुमार निराला का दबदबा रहा. 2020 में यह सीट महागठबंधन के खाते में चली गयी. तब से लोगों में जोड़ तोड़ का खेल शुरू हो गया. पिछली बार भी संतोष कुमार निराला एवं कांग्रेस के विश्वनाथ राम के बीच कड़ी टक्कर हुई. जिसमें कई अतिपिछड़ा, पिछड़ा, अनुसूचित जातियों का समीकरण बिखर गया था. जिस बिखराव को बचाने के लिए अभी से ही सभी कार्यकर्ता लग गये है.
सुभासपा का का वोट बैंक डालेगा असर
एनडीए गठबंधन का साथी रहा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी पिछले कई वर्षों से एनडीए गठबंधन का हिस्सा है. जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर उत्तर प्रदेश में उनके साथ हैं. जिनकी एक बड़ी सभा भी की गयी थी. इनको उम्मीद था कि पार्टी को साथ लेकर चलेंगे. इस बार बिहार में इनको एक भी सीट नहीं मिलने से यह पार्टी काफी नाराज हो गई है. जिसको लेकर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उदयनारायण राजभर ने भी ऐलान कर दिया है कि एनडीए गठबंधन के खिलाफ रहेंगे. ऐसे में यह अनुमान है कि राजपुर विधानसभा क्षेत्र में अति पिछड़ों के वोट बैंक पर अपना प्रभाव डालने वाली सुभासपा इस बार काफी प्रभावित कर सकती है. इनके नेता अपनी जातियों को गोल बंद करने में कोई कसर छोड़ना नहीं चाहते हैं.
साख बचाने के लिए नेताजी कर रहे वादा
चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशी अपनी चुनावी साख को मजबूत करने के लिए कई वादों को घोषणा कर दिया है. ऐसे में जनता को उम्मीद है कि कौन नेता इस क्षेत्र का विकास कर सकता है. जिसके लिए महागठबंधन एवं गठबंधन से अलग हटकर चुनावी मैदान में आने वाले प्रत्याशियों ने भी यह ऐलान कर दिया है कि यहां वहीं विधायक होगा जो जनता की आवाज को विधानसभा में उठायेगा. फिलहाल इस क्षेत्र की जो भी गंभीर मुद्दे रहे हैं. उसको विधानसभा में मजबूती से नहीं उठाने की वजह से अभी भी यह क्षेत्र पिछड़ा हुआ है. युवाओं के लिए शिक्षा, रोजगार, खेल एवं कई ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जो काफी मायने रखते हैं. इस बार यह देखना होगा कि आखिर अति पिछड़ा, पिछड़ा का वोट बैंक किधर जा रहा है.
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