डुमरांव
. प्रखंड क्षेत्र के सोवा गांव के किसान इन दिनों गंभीर जल संकट से जूझ रहे हैं. गांव के पश्चिम और उत्तर दिशा में स्थित दो सरकारी टयूवेल पिछले लगभग आठ वर्षों से बंद पड़े हैं, जिससे खेतों की सिंचाई करना किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है. पहले जहां सरकारी ट्वूवेल से समय-समय पर सिंचाई कर किसान अपनी फसलें बचा लेते थे, वहीं अब महंगाई और संसाधनों की कमी के कारण वे निजी संसाधनों का खर्च वहन नहीं कर पा रहे हैं. गांव में कुछ ऐसे किसान हैं जिनके पास निजी सबमर्सिबल पंप या मोटर हैं. वे तो अपने खेतों की सिंचाई किसी तरह कर ले रहे हैं, लेकिन अधिकांश किसान सरकारी नलों पर ही निर्भर थे. अब जब ये नल काम नहीं कर रहे हैं, तो उन किसानों की फसलें समय पर पानी न मिलने के कारण सूखने लगी हैं. इससे सब्ज़ियां और दूसरी फसलें प्रभावित हो रही हैं. जिससे न सिर्फ किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि ग्रामीण बाजार में भी सब्ज़ियों की कमी महसूस की जा रही है. किसानों का कहना है कि अब तक अधिकारियों द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. अगर जल्द ही इन सरकारी टयूवेल को चालू नहीं किया गया, तो गांव के किसान बड़ी आर्थिक तंगी का शिकार हो सकते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है