Bihar News: बक्सर के सभी प्रखंडों में पांच-पांच बेडों के डेडिकेटेड वार्ड बनाए गए है. जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल द्वारा हाल ही में इस संबंध में समीक्षा बैठक की गयी, जिसमें अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिये गये. सिविल सर्जन डॉ शिव कुमार प्रसाद चक्रवर्ती ने बताया कि इस बार गांव-गांव में आशा के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जायेगा, जिससे लोग समय रहते बीमारी के लक्षण पहचान कर उपचार करा सकें. प्रशासन का लक्ष्य है कि कोई भी बच्चा इस बीमारी की चपेट में न आये और यदि आये भी तो तत्काल इलाज सुनिश्चित हो.
एचडब्ल्यूसी पर दवाएं उपलब्ध
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह डीआईओ डॉ विनोद प्रताप सिंह ने बताया कि एईएस के प्रबंधन और जनजागरुकता के लिए जिला स्वास्थ्य समिति पूरी तरह तत्पर है. सभी प्रखंड व पंचायत स्तरीय हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों (HWC) पर बचाव से संबंधित दवाएं उपलब्ध करायी गयी हैं. इसके साथ ही, आशा को प्रशिक्षित किया गया है, जो समुदाय में जागरुकता फैलायेंगी. डॉ सिंह ने बताया कि एक से 15 वर्ष तक के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. समय रहते इलाज से रोगी पूरी तरह ठीक हो सकता है. उन्होंने ‘चमकी को धमकी’ अभियान के तहत तीन जरूरी बातें बतायीं खिलाओ, जगाओ और अस्पताल ले जाओ जिससे बचाव संभव है.
लोगों में लक्षणों की जानकारी जरूरी
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शैलेंद्र कुमार ने बताया कि आशा द्वारा लोगों को चमकी बुखार के लक्षणों की जानकारी दी जा रही है. लोगों को बताया जा रहा है कि बच्चों में चमकी बुखार के लक्षण देखना काफी सरल है. किसी बच्चे में सर दर्द तेज बुखार रहना, जो 5 से 7 दिनों से ज्यादा का ना हो, अर्ध चेतना एवं मरीज में पहचान की क्षमता न होना, भ्रम की स्थिति में होना, बच्चों का बेहोश हो जाना, शरीर में चमक होना अथवा हाथ पैर में थरथराहट होना, पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना या हाथ पैर का अकड़ जाना, बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक संतुलन ठीक न होना चमकी बुखार के लक्षण है. इनमें कोई भी लक्षण दिखे तो उसे तत्काल अस्पताल ले जाएं. साथ ही, बच्चों के माता-पिता व अभिभावकों को सामान्य उपचार एवं सावधानियों के प्रति जानकारी दी जा रही है. जैसे वो अपने बच्चों को तेज धूप से बचाएं, बच्चों को दिन में दो बार स्नान कराएं, गर्मी के दिनों में बच्चों को ओआरएस अथवा नींबू पानी व चीनी का घोल पिलाएं. वहीं, सबसे जरूरी बात यह कि रात में बच्चों को खाना खिलाकर ही सुलाएं.