बक्सर. जिले में 1287 आंगनबाड़ी केंद्र किराए के भवन में चल रहे हैं. जबकि 239 आंगनबाड़ी केंद्रों में नहीं हैं मूलभूत सुविधाएं. जो यह दर्शाता है कि योजनाओं और जमीनी कार्यान्वयन के बीच एक गहरी खाई मौजूद है. जहां केंद्रों की संख्या में वृद्धि की जा रही है, वहीं गुणवत्ता और आधारभूत सुविधाओं की घोर अनदेखी की जा रही है. बाल विकास सेवाओं का अहम हिस्सा माने जाने वाले आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत जिले में बेहद चिंताजनक है. जिले में कुल 1944 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें से 1287 केंद्र आज भी किराये के भवनों में संचालित हो रहे हैं. इससे भी अधिक गंभीर बात यह है कि जिन केंद्रों को विभाग ने स्वयं के भवन में स्थानांतरित किया है, उनमें से अधिकांश में मूलभूत सुविधाएं जैसे शौचालय, पेयजल और बिजली तक उपलब्ध नहीं हैं. सदर प्रखंड के अंतर्गत आने वाले हितन पडरी गांव का आंगनबाड़ी केंद्र इसकी सच्चाई को उजागर करता है. विभाग का दावा है कि जो केंद्र विभागीय भवनों में संचालित हो रहे हैं, वे सभी बुनियादी सुविधाओं से युक्त हैं. परंतु जब प्रभात खबर की टीम ने मौके पर पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया, तो तस्वीर कुछ और ही निकली. यह भवन तीन से चार साल पहले बना था, लेकिन आज तक इसमें रंग-रोगन तक नहीं हुआ है. भवन की दीवारों से पानी का रिसाव हो रहा है, जिससे बच्चों के बैठने और पढ़ने की स्थिति अत्यंत खराब हो गयी है. शौचालय की स्थिति जर्जर है और साफ-सफाई का कोई इंतजाम नहीं है. पेयजल की सुविधा भी नाम मात्र की है. जब आंगनबाड़ी सेविका से इस विषय में बातचीत की गयी, तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया हम इस भवन में पढ़ाने को तैयार नहीं थे. जब से यह बना है, तब से पानी का रिसाव हो रहा है. लेकिन सीडीपीओ के दबाव में पढ़ा रहे हैं. सेविका की यह बात स्पष्ट करती है कि विभागीय निगरानी और निरीक्षण केवल कागजों तक ही सीमित है. किराए के भवनों में चल रहे कुल 1247 आंगनबाड़ी केंद्र जिले के कुल 1944 आंगनबाड़ी केंद्रों में से 1287 आज भी किराए के भवनों में चल रहे हैं. सरकारी योजनाओं और बजट आवंटन के बावजूद इन केंद्रों का स्थायी समाधान अब तक नहीं हो पाया है. जब टीम ने किराए के भवनों का निरीक्षण किया, तो एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आयी लगभग 80% आंगनबाड़ी केंद्र सेविकाओं के अपने घरों में ही संचालित हो रहे हैं. हालांकि कागजों पर किरायानामा उनके देवर या ससुर के नाम पर बनाया गया है, ताकि यह लगे कि केंद्र किसी तीसरे व्यक्ति के मकान में चल रहा है. लेकिन हकीकत यह है कि इन केंद्रों का संचालन उन्हीं सेविकाओं के निजी मकानों में हो रहा है. यह व्यवस्था विभाग को गुमराह करने के लिए बनायी गयी है. बुनियादी सुविधाओं का अभाव जिले में 33 आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं जहां शौचालय की सुविधा नहीं है. 62 केंद्रों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है, वहीं 144 केंद्रों में बिजली कनेक्शन तक नहीं है. इन सुविधाओं के बिना बच्चों के लिए सुरक्षित, स्वच्छ और अनुकूल वातावरण की कल्पना नहीं की जा सकती. छोटे बच्चों के लिए संचालित इन केंद्रों में यदि शौचालय नहीं है, तो बच्चों को या तो बाहर खुले में जाना पड़ता है या फिर घंटों तक अपनी जरूरतें रोके रखना पड़ता है. पेयजल की अनुपलब्धता बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है, और बिजली की कमी से गर्मी के दिनों में स्थिति और भी खराब हो जाती है. आईसीडीएस विभाग के दावे और जमीनी सच्चाई एक ओर जहां महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला आइसीडीएस विभाग दावा करता है कि विभागीय भवनों में चल रहे सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी हैं, वहीं दूसरी ओर जमीनी सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है. हितन पडरी जैसे उदाहरण यह साबित करते हैं कि विभागीय रिपोर्टों में आंकड़े तो सही बैठा दिए जाते हैं, लेकिन उन आंकड़ों का वास्तविकता से कोई सरोकार नहीं होता. विभागीय अधिकारियों का निरीक्षण सतही और औपचारिक बनकर रह गया है. सेविकाओं की मजबूरी और दबाव आंगनबाड़ी सेविकाएं कई बार इन समस्याओं की जानकारी विभाग को देती हैं, लेकिन उनकी आवाज को नजरअंदाज कर दिया जाता है. सेविकाएं यह स्वीकार करती हैं कि कई बार डर और दबाव के कारण वे शिकायत दर्ज नहीं कर पातीं. उन्हें यह डर सताता है कि अगर शिकायत की गई तो उनके ऊपर कार्यवाही की जा सकती है या उन्हें स्थानांतरित किया जा सकता है. सेविकाओं को एक ओर बच्चों की देखभाल, पढ़ाई और पोषण आहार बांटने जैसे कार्य सौंपे गए हैं, वहीं दूसरी ओर वे इन अव्यवस्थाओं से भी जूझ रही हैं. उनका कार्य बोझ लगातार बढ़ रहा है, लेकिन उन्हें न तो उचित संसाधन दिए जा रहे हैं और न ही सुरक्षित कार्य वातावरण. किस प्रखंड के कितना है आंगनबाड़ी केंद्र और कितना है किराये पर प्रखंड केंद्र किराये नहीं है सुविधा ब्रह्मपुर 235 166 47 बक्सर 284 173 42 चक्की 51 31 00 चौगाई केसठ 104 82 07 चौसा 125 83 61 डुमरांव 233 178 06 इटाढ़ी 198 101 13 नावानगर 202 132 26 राजपुर 243 116 06 सिमरी 269 225 29
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