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रेलखंड के दोहरीकरण से रेल सफर होगा आसान

बख्तियारपुर-राजगीर-तिलैया रेल खंड (104 किमी) के दोहरीकरण की केन्द्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल गयी है.

राजगीर. बख्तियारपुर-राजगीर-तिलैया रेल खंड (104 किमी) के दोहरीकरण की केन्द्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल गयी है. इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर लगभग 2,192 करोड़ रुपये खर्च होंगे. यह रेलवे लाइन पटना, नालंदा, गया और नवादा जैसे दक्षिण बिहार के चार जिलों को आपस में जोड़ेगी. इसके साथ ही भारतीय रेल नेटवर्क में 104 किलोमीटर का नया दोहरीकरण जुड़ जाएगा. यह रेल मार्ग धार्मिक, ऐतिहासिक और पर्यटन दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. राजगीर और नालंदा को जोड़ने वाला यह खंड बुद्ध सर्किट का हिस्सा है, वहीं पावापुरी जैन सर्किट तथा बिहारशरीफ सूफी सर्किट के प्रमुख गंतव्य हैं. ये सभी स्थल देश और विदेश से आने वाले लाखों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं. परियोजना से क्षेत्रीय कनेक्टिविटी मजबूत होगी और पर्यटन को नये आयाम मिलेंगे. इस परियोजना का सीधा लाभ लगभग 1,434 गांवों और करीब 13.46 लाख की आबादी को मिलेगा. इसमें गया और नवादा जैसे आकांक्षी जिले भी शामिल हैं. इस दोहरीकरण से आवागमन आसान होगा. इससे लोगों को रोजगार, स्वरोजगार, व्यापार और पर्यटन के नए अवसर प्राप्त होंगे. यह रेल खंड माल परिवहन की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. यहां से कोयला, सीमेंट, क्लिंकर और फ्लाईऐश जैसी सामग्रियों का बड़े पैमाने पर परिवहन होता है. दोहरीकरण के बाद इस खंड से 26 मिलियन टन अतिरिक्त माल ढुलाई प्रतिवर्ष संभव हो सकेगी. इससे क्षेत्रीय औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी. यह परियोजना पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक बड़ा कदम है. रेलवे की ऊर्जा-कुशल और पर्यावरण-अनुकूल तकनीक से तेल आयात में 5 करोड़ लीटर की बचत होगी. लगभग 24 करोड़ किलोग्राम कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी. यह प्रभाव एक करोड़ पेड़ लगाने के बराबर माना जा रहा है. रेलवे सूत्रों का मानना है कि इस दोहरीकरण से परिचालन क्षमता और सेवा की विश्वसनीयता में सुधार होगा. व्यस्त मार्गों पर भीड़भाड़ कम होगी और ट्रेनों का संचालन सुगम बनेगा. यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “नए भारत ” के विज़न का हिस्सा है. इससे क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का विकास होगा. इससे पर्यटन बढ़ेगा और स्थानीय लोगों को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रेरणा मिलेगी. यह पहल बिहार के सामाजिक-आर्थिक विकास में मील का पत्थर साबित होगी.

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