Bihar News:पटना साहिब गुरुद्वारे का लंगर न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश में सेवा और समानता का प्रतिक माना जाता है. यहां अमीर-गरीब, हर धर्म और जाति के लोग एक साथ बैठकर खाना खाते हैं. लंगर में दाल, सब्जी, चपाती और खीर जैसे व्यंजन परोसे जाते हैं, जो गुरुद्वारे के सेवक और स्वयंसेवक मिलकर तैयार करते हैं. यहां रोज़ाना हजारों श्रद्धालु और ज़रूरतमंद लोग भोजन करते हैं. दिलचस्प बात यह है कि यह लंगर कभी बंद नहीं होता. दिन हो या रात, किसी भी समय आने वाले व्यक्ति को यहां गरमा-गरम खाना बिना किसी स्वार्थ के परोसा जाता है.
हाथों मे दी जाती है रोटियां
यहां की सबसे खास बात यह है कि लंगर में रोटी थाली में नहीं, बल्कि सीधे हाथ में दी जाती है. इसका कारण यह है कि भोजन को प्रसाद माना जाता है. इसे हाथों से देने की परंपरा है, ताकि हर कोई इसे भक्ति और सम्मान के साथ प्राप्त करे.
लोग अपनी इच्छा से करते हैं सेवा
लंगर की व्यवस्था पूरी तरह से संगत (श्रद्धालुओं) के सहयोग से चलती है. लोग अपनी इच्छा से यहां प्रसाद खिलाते है और साथ ही कई लोग सेवा भाव से बर्तन धोने से लेकर रोटी बनाने तक का भी काम करते हैं.
देता है मानवता का संदेश
पटना साहिब का यह लंगर न सिर्फ़ भूख मिटाने का स्थान है, बल्कि यह मानवता, भाईचारा और समानता का संदेश भी देता है. यही वजह है कि यहां आने वाले लोग केवल पेट भरने नहीं, बल्कि आत्मिक शांति और संतोष का अनुभव लेकर जाते हैं.
विदेश से भी आते हैं श्रद्धालु
पटना साहिब का गुरुद्वारा और लंगर सिर्फ़ बिहार और भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी ख्याति विदेशों तक फैली हुई है. यहां विदेश से भी श्रद्धालु आते हैं. दूर-दराज़ से आने वाले ये लोग न सिर्फ़ दर्शन करते हैं,साथ ही यहां उनके रहने की भी व्यवस्था होती है.
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