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Bihar News: 60% वाहनों में नहीं लगा पैनिक बटन, परिवहन मंत्री श्रवण कुमार ने अधिकारियों को दी सख्त वार्निंग

Bihar News: केंद्र सरकार के सख्त निर्देश के बावजूद, बिहार में पिछले 6 सालों में 60% व्यावसायिक और स्कूली वाहनों में पैनिक बटन डिवाइस नहीं लगाया जा सका है,आपात स्थिति में एक बटन दबते ही मदद पहुंचाने का वादा था, लेकिन हकीकत यह है कि ज्यादातर वाहनों में वह बटन आज भी लगा ही नहीं.

Bihar News: बिहार में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर बनाए गए नियम जमीनी हकीकत से काफी दूर नजर आ रहे हैं. साल 2019 में केंद्र सरकार ने व्यावसायिक और स्कूली वाहनों में व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस यानी पैनिक बटन लगाना अनिवार्य किया था, ताकि आपात स्थिति में तुरंत मदद पहुंच सके.

छह साल बीत जाने के बाद भी राज्य के करीब 60 प्रतिशत वाहनों में यह सुरक्षा उपकरण नहीं लगाया गया है.

कागजों में आदेश, सड़कों पर लापरवाही

पैनिक बटन और व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस लगने से वाहनों की निगरानी पटना स्थित परिवहन विभाग के इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से की जा सकती है. इसके बावजूद नियमों का पालन कराने में राज्य परिवहन विभाग के अधिकारी विफल साबित हो रहे हैं. नतीजा यह है कि महिलाएं और बच्चे आज भी सार्वजनिक और स्कूली वाहनों में असुरक्षित सफर करने को मजबूर हैं.

परिवहन एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री श्रवण कुमार ने हाल ही में इस मुद्दे पर समीक्षा बैठक की. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस लगाने वाली 30 एजेंसियों का कार्य असंतोषजनक पाया गया है. मंत्री ने यह भी माना कि पुराने सार्वजनिक वाहनों के पंजीकरण, परमिट, बीमा नवीनीकरण या फिटनेस जांच के दौरान अनिवार्य रूप से पैनिक बटन लगाया जाना चाहिए था, लेकिन इसका पालन ठीक से नहीं हो सका.

तेज रफ्तार और बढ़ता खतरा

पैनिक बटन और ट्रैकिंग सिस्टम नहीं होने की वजह से व्यावसायिक वाहनों की गति पर निगरानी रखना मुश्किल हो गया है. मंत्री ने चिंता जताई कि चालक तेज रफ्तार से वाहन चला रहे हैं, जिससे दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है. यह समस्या सिर्फ सड़क सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि महिलाओं और बच्चों की व्यक्तिगत सुरक्षा से भी सीधे जुड़ी हुई है.

इस सिस्टम का मकसद साफ है. आपात स्थिति में पैनिक बटन दबाते ही कंट्रोल रूम को अलर्ट मिले और पुलिस तुरंत मदद के लिए पहुंचे. इसे इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम 112 से जोड़ा गया है, जिससे वाहन की सटीक लोकेशन का पता चल सके. इसके अलावा यह डिवाइस वाहनों की रियल टाइम लोकेशन, रूट और गति की जानकारी भी देता है, ताकि निगरानी आसान हो सके. लेकिन जब अधिकांश वाहनों में यह सिस्टम ही नहीं लगा है, तो इसकी उपयोगिता सवालों के घेरे में है.

नियमों की अनदेखी

आरटीओ और सरकार के नियमों के अनुसार कैब, स्कूल बस और अन्य सार्वजनिक वाहनों में यह डिवाइस अनिवार्य है. अब इसे लॉजिस्टिक्स और माल ढुलाई से जुड़े ट्रैक्टर-ट्रेलर में भी जरूरी किया जा रहा है, ताकि अवैध खनन और आपराधिक गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके. बावजूद इसके, जमीनी स्तर पर लापरवाही साफ दिख रही है.

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Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर और तीन बार लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया विषय में पीएच.डी. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल की बिहार टीम में कार्यरत. डेवलपमेंट, ओरिजनल और राजनीतिक खबरों पर लेखन में विशेष रुचि. सामाजिक सरोकारों, मीडिया विमर्श और समकालीन राजनीति पर पैनी नजर. किताबें पढ़ना और वायलीन बजाना पसंद.

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