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Bihar Chunav 2025: सोशल मीडिया पर उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार, पटना में आंगनबाड़ी सेविका बर्खास्त, सारण में तीन शिक्षक निलंबित

Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के बीच आचार संहिता उल्लंघन पर प्रशासनिक सख्ती तेज हो गई है. सोशल मीडिया पर राजनीतिक प्रचार करना अब सरकारी कर्मचारियों के लिए भारी पड़ रहा है. पटना और सारण से सामने आए ताजा मामलों में एक आंगनबाड़ी सेविका को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया, जबकि तीन शिक्षकों को निलंबन का सामना करना पड़ा है.

Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशासन निष्पक्षता बनाए रखने के लिए किसी भी तरह की राजनीतिक सक्रियता को लेकर सख्त है. दानापुर में फेसबुक पर राजद प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने वाली एक आंगनबाड़ी सेविका को जिला प्रशासन ने सेवा से मुक्त कर दिया, वहीं सारण जिले में सोशल मीडिया और जमीनी स्तर पर प्रचार में शामिल तीन शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है.दोनों जिलों के जिला निर्वाचन पदाधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि सरकारी या अर्धसरकारी कर्मियों की राजनीतिक संलिप्तता किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

फेसबुक पोस्ट से मचा बवाल, आंगनबाड़ी सेविका बर्खास्त

दानापुर विधानसभा क्षेत्र के आदर्श कॉलोनी स्थित आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका कुमारी रंजना (पति मृत्युंजय यादव) ने फेसबुक पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रत्याशी रीतलाल राय के समर्थन में प्रचार किया था.
उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और बाद में राजद प्रत्याशी के आधिकारिक फेसबुक अकाउंट से भी साझा किया गया.

वीडियो सामने आने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया. अंचलाधिकारी, दानापुर ने 23 अक्टूबर को इस मामले में खगौल थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई. जांच में यह पाया गया कि सेविका का यह कार्य आचार संहिता का सीधा उल्लंघन है.

इसके बाद जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह डीएम डॉ. त्यागराजन एस.एम. ने अनुशंसा के आधार पर रंजना को सेवा से बर्खास्त कर दिया. प्रशासन ने कहा कि इस तरह की राजनीतिक गतिविधियों से सरकारी सेवा की निष्पक्षता पर सवाल उठता है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता.

प्रशासन का स्पष्ट संदेश: “सरकारी कर्मचारी रहें तटस्थ”

जिला प्रशासन ने चेतावनी दी है कि चुनावी अवधि में किसी भी सरकारी या अर्धसरकारी कर्मी द्वारा किसी दल या प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करना आचार संहिता का गंभीर उल्लंघन है. ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह व्यक्ति किसी भी पद या विभाग से जुड़ा हो.

यह कार्रवाई चुनाव आयोग की उस नीति को भी दोहराती है, जिसके तहत सरकारी सेवकों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में तटस्थ रहना अनिवार्य है.

सारण में शिक्षकों पर गिरी गाज — तीन निलंबित

सारण जिले में भी प्रशासन ने सोशल मीडिया और जमीनी प्रचार में शामिल शिक्षकों पर बड़ी कार्रवाई की है. जिला निर्वाचन पदाधिकारी अमन समीर ने जांच रिपोर्ट के आधार पर तीन शिक्षकों को निलंबित कर विभागीय जांच के अधीन कर दिया है.

पहला मामला: परसा के शिक्षक दीपक कुमार

नगर माध्यमिक शिक्षक दीपक कुमार (उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, परसा) पर आरोप है कि वे 119 गड़खा विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशी सविता देवी के पक्ष में सोशल मीडिया और व्हाट्सएप ग्रुपों पर प्रचार कर रहे थे.
जांच में आरोप प्रमाणित होने पर उन्हें बिहार नगर निकाय माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय सेवा नियमावली 2020 की कंडिका 20 के तहत निलंबित कर दिया गया. साथ ही, स्थानीय थाना में प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश भी दिया गया है.

दूसरा मामला: गांव-गांव घूमकर वोट मांगते शिक्षक

तरैया प्रखंड के मैकडोनाल्ड उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, देवरिया के शिक्षक सुरेन्द्र प्रसाद यादव को चुनाव क्षेत्र में गांव-गांव घूमकर मिथिलेश राय के पक्ष में वोट मांगते देखा गया. जांच में यह आरोप सही पाए जाने पर प्रशासन ने इसे आचार संहिता और सरकारी सेवक आचार नियमावली 1976 का उल्लंघन माना. परिणामस्वरूप, उन्हें विशिष्ट शिक्षक नियमावली 2024 के तहत निलंबित कर दिया गया. उनका मुख्यालय प्रखंड संसाधन केंद्र, दरियापुर तय किया गया है, जहां से वे 50 प्रतिशत जीवन निर्वाह भत्ता पाएंगे.

तीसरा मामला: इंटरनेट मीडिया पर राजनीतिक पोस्ट

दरियापुर के उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, पिरारीडीह के शिक्षक राजेश कुमार तिवारी सोशल मीडिया पर राजनीतिक पोस्ट और टिप्पणियां साझा कर रहे थे. जांच में यह कार्य सरकारी सेवक आचरण के प्रतिकूल पाया गया. आरोप सिद्ध होने पर उन्हें बिहार विद्यालय अध्यापक नियमावली 2023 और सरकारी सेवक नियंत्रण एवं अपील नियमावली 2005 के तहत निलंबित किया गया. उनका मुख्यालय भी दरियापुर में ही तय किया गया है और उन्हें 50 प्रतिशत वेतन भत्ता मिलेगा.

डीएम अमन समीर का सख्त संदेश: निष्पक्षता से समझौता नहीं

सारण के डीएम अमन समीर ने स्पष्ट कहा कि सरकारी सेवकों को राजनीतिक निष्पक्षता का प्रतीक माना जाता है. ऐसे में चुनावी प्रक्रिया में उनकी राजनीतिक भागीदारी लोकतंत्र की साख को कमजोर कर सकती है.
उन्होंने कहा -आचार संहिता के उल्लंघन पर अब शून्य सहनशीलता की नीति अपनाई जाएगी. सरकारी कर्मचारियों को राजनीतिक प्रचार से दूर रहना होगा, वरना कड़ी कार्रवाई तय है.”

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Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर. लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया में पीएच.डी. . वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल के बिहार टीम में काम कर रहे हैं. साहित्य पढ़ने-लिखने में रुचि रखते हैं.

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