आरा : एक बार फिर ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड सुर्खियों में है. रणवीर सेना के सुप्रीमो ब्रह्मेश्वर मुखिया कि हत्यारों की तलाश अब भी पुलिस को है. सीबीआई ने एक बार फिर सदर अस्पताल सहित शहर के कई स्थानों पर पोस्टर चस्पाये हैं. इन पोस्टरों में कहा गया है कि ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड से जुड़ी जानकारी देने पर 10 लाख रुपये इनाम दिये जायेंगे. साथ ही आश्वासन दिया है कि सूचना देनेवाले की पहचान गुप्त रखा जायेगी. सीबीआई की ओर से जारी पोस्टर में सीबीआई ने फोन और मोबाइल नंबर भी दिया है.
जानकारी के मुताबिक, भोजपुर जिला मुख्यालय आरा में कई जगहों पर सीबीआई ने मंगलवार की देर रात पोस्टर चिपका कर बिहार के बहुचर्चित ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड में आम लोगों से मदद की अपील की है. साथ ही कहा है कि यदि किसी व्यक्ति को हत्याकांड से जुड़ी जानकारी हो तो दिये गये फोन नंबरों पर सीबीआई की विशेष अपराध शाखा, पटना को सूचित करें. मदद करनेवाले को 10 लाख रुपये देने की घोषणा की है. पोस्टर में सीबीआई ने फोन और मोबाइल नंबर भी दिया है. साथ ही कहा गया है कि सूचना देनेवाले का नाम और पता गुप्त रखा जायेगा.बताया जाता है कि यह पोस्टर सदर अस्पताल समेत शहर के कई सार्वजनिक जगहों पर चिपकाये गये हैं.
2012 में गोली मार कर कर दी गयी थी हत्या
मालूम हो कि रणवीर सेना के संस्थापक माने-जानेवाले ब्रह्मेश्वर सिंह उर्फ ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या एक जून, 2012 को आरा के कतीरा मोहल्ले में चार बजे अहले सुबह बह्मेश्वर मुखिया की हत्या कर दी गयी थी. हत्याकांड में शामिल अपराधियों की तलाश की जा रही है. पुलिस अब तक अपराधी तक नहीं पहुंच पायी है. अपराधियों की तलाश में सीबीआई ने पोस्टर जारी कर आमलोगों से मदद मांगी है. मालूम हो कि सीबीआई ने करीब चार साल पहले भी पोस्टर जारी किया था.
कौन थे ब्रह्मेश्वर मुखिया?
भोजपुर जिले के खोपिरा गांव निवासी ब्रहमेश्वर सिंह उर्फ बरमेश्वर मुखिया ने निजी सेना का गठन किया था. उसे रणवीर सेना के नाम से जाना जाता है. 80 के दशक में बिहार में जाति संघर्ष चरम पर था. इस संघर्ष में अगड़ी जाति भूमिहार का प्रतिनिधित्व करनेवाले ब्रह्मेश्वर मुखिया के नेतृत्व में गठित रणवीर सेना पर कई नरसंहारों में लिप्त रहने का भी आरोप है. उन्होंने साल 1994 में रणवीर सेना का गठन किया था. बिहार में नक्सलियों और रणवीर सेना के बीच कई खूनी संघर्ष हुए. इन नरसंहारों का सूत्रधार ब्रह्मेश्वर मुखिया को ही माना गया. बाद में अगस्त 2002 को राजधानी पटना में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद वह करीब नौ साल तक जेल में रहे. जुलाई 2011 में जेल से छूटने के करीब साल भर बाद उन्होंने मई 2012 को अखिल भारतीय राष्ट्रवादी किसान संगठन के नाम से संस्था बनायी. लेकिन, संगठन बनाने के एक माह के अंदर ही एक जून, 2012 को उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गयी.