आरा : हत्या के एक मामले में षष्टम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेश कुमार ने सोमवार को पांच आरोपितों को सश्रम आजीवन कारावास व अर्थदंड की सजा सुनाई. वहीं आरोपित धीरज ठाकुर व नारायण ठाकुर को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में आरोप मुक्त कर रिहाई का आदेश दे दिया. अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक जुगेश्वर प्रसाद उर्फ हीरा ने बहस की थी. उन्होंने बताया कि 30 अगस्त, 2011 को बिहियां थानांतर्गत गौरा गांव निवासी सुमंत ठाकुर को गौरा बधार के समीप गोली मारकर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया गया था. घायल की इलाज के दौरान पीएमसीएच में मौत हो गयी थी.
घटना को लेकर उसी गांव के पांच लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. पुलिस ने अनुसंधान के दौरान दो लोगों को भी अप्राथमिकी अभियुक्त बनाया था. घटना का कारण जमीन विवाद बताया गया था. अपर लोक अभियोजक श्री हीरा ने बताया कि अभियोजन पक्ष की ओर से आठ गवाहों की गवाही करायी गयी थी. अभियुक्तों के खिलाफ 9 मार्च, 2015 को आरोप का गठन किया गया था. सजा के बिंदु पर सुनवाई के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेश कुमार ने दोषी पाते हुए आरोपित
रामाशीष ठाकुर व उसके भाई साधु शरण ठाकुर, रामाशीष ठाकुर के दो पुत्र मुकेश ठाकुर, अखिलेश ठाकुर और मोही लाल ठाकुर को भादवि की धारा 302/ 34 के तहत सश्रम आजीवन कारावास व 10-10 हजार रुपया अर्थदंड की सजा सुनाई. साथ ही 27 आर्म्स एक्ट के तहत पांच – पांच वर्षों के सश्रम कारावास व पांच- पांच हजार रुपया अर्थदंड की सजा सुनाई. सभी सजाएं साथ- साथ चलेंगी.