भागलपुर
अखिल भारतीय सनातन सेवा संस्थान के तत्वाधान में गुरुवार को श्री शिव महापुराण कथा के तीसरे दिन युवाचार्य डॉ आकाश शर्मा ने शिव पुराण व कलयुग प्रसंग पर प्रवचन दिया. द्वारिकापुरी मंगल उत्सव परिसर में कथा वाचक ने कहा कि शिव पुराण का पाठ करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और दुर्भाग्य से छुटकारा मिलता है. शिव पुराण में शिव को पांच देवों में प्रधान अनादि सिद्धि और परमेश्वर के रूप में स्वीकार किया गया है. आगे कथा में शिव सती की लीला कथा का वर्णन किया और कहा कि शिव-पार्वती विवाह प्रेम, निष्ठा और भक्ति का प्रतीक है. आयोजन समिति के महासचिव सुनील बुधिया ने कहा कि शिवपुराण कथा भक्ति और अध्यात्म की गहराइयों तक पहुंचाने का बड़ा साधन है. अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति के अध्यक्ष गिरधारी केजरीवाल एवं मीडिया प्रभारी रोहित बाजोरिया ने किया.
रावण ने रचा था शिव तांडव स्तोत्र
डॉ आकाश शर्मा ने कहा कि भगवान के सबसे बड़े भक्त महापंडित रावण ने शिव तांडव स्तोत्र की रचना की थी. प्रदोष व्रत के दिन शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. इससे मनचाही मनोकामना पूरी होगी. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रावण ने जो स्तुति की, उसे शिव तांडव स्त्रोत कहते हैं. जब रावण ने शिव-पर्वत को उठाकर लंका ले जाने की कोशिश की, तब भगवान शिव ने अपने पैर की उंगलियों से पर्वत को दबा दिया और रावण विचलित हो गया. तब भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उसने शिव तांडव स्तोत्र की रचना की. यह बहुत ही शक्तिशाली है.
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