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Bhagalpur news पतोराडीह : कष्ट-दर्द के बीच कट रही जिंदगी

सुलतानगंज मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर और मिरहट्टी पंचायत से डेढ़ किलोमीटर दक्षिण स्थित पतोराडीह गांव इन दिनों बाढ़ की चपेट में है

सुलतानगंज मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर और मिरहट्टी पंचायत से डेढ़ किलोमीटर दक्षिण स्थित पतोराडीह गांव इन दिनों बाढ़ की चपेट में है. लगातार बारिश से 160 की आबादी वाला यह गांव चारों ओर से पानी से घिरा है. सड़क है ही नही, आवागमन सिर्फ पगडंडी से होता था, वह भी डूब गया है. नाव से आवागमन हो रहा है. घर-आंगन में पानी भरने से खाना बनाना, पीने का पानी और बीमारों के इलाज की व्यवस्था चुनौती बन गयी है. बुधवार को प्रभात खबर पड़ताल में गांव का जायजा लिया गया. ग्रामीण अशोक मांझी, भूपेंद्र मांझी, सुनील मांझी, बबलू कुमार मांझी, अमृत मांझी, लक्ष्मी मांझी और अमरजीत मांझी ने बताया बिजली काट दी गयी है. खाना व दवा का इंतजाम मुश्किल है. बस किसी तरह रात-दिन कट रहे हैं.

पेयजल व चिकित्सा का संकटजिप सदस्य अरुण कुमार दास ने बताया कि बाढ़ पीड़ित बेहद कठिन हालात में हैं. सरकारी स्तर पर सामुदायिक किचन तो चल रहा है, लेकिन शुद्ध पेयजल की किल्लत है. नप के मुख्य पार्षद राजकुमार गुड्डू की मदद से पानी का टैंकर और नाव की व्यवस्था की गयी है. मेडिकल सुविधा अब भी गांव तक नहीं पहुंची है.

डायरिया के मरीज तैरकर ले जाये गये

गांव में दूषित पानी से डायरिया फैल गयी है. चार लोग पीड़ित हो गये. मधु कुमारी(13), सागर कुमार (9), सीता देवी(55) और प्रियंका देवी(45) बीमार पड़ गयी, जिन्हें नाव और तैर कर निजी क्लिनिक ले जाया गया. फिलहाल उनकी हालत स्थिर है.

बच्चों को रिश्तेदारों के पास भेजा

बाढ़ से पूरा गांव टापू में बदल गया है. बबलू मांझी ने बताया कि उन्होंने अपने बच्चों को नाव से रिश्तेदारों के पास भेज दिया है. अधिकतर लोग मजदूरी करते हैं और किसी तरह अपनी जिंदगी बचाने की कोशिश कर रहे हैं. बुधवार को बाढ़ के पानी में एक वृद्धा के डूबने से दहशत बढ़ गयी. ग्रामीणों ने किसी तरह उन्हें पानी से बाहर निकाला. गांव में शौचालय की कमी और गंदगी फैलने से बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है.

टापू में जिंदगी, नाव है उम्मीद

पतोराडीह गांव में बाढ़ का पानी चारों ओर फैला है. घरों की दहलीज पर लहरें हैं और आंगन में लबालब पानी हैं. बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे, जलमग्न हैं. गांव के बुजुर्ग कहते हैं, ऐसा पानी तो नहीं देखा. हर किसी की आंखों में एक ही सवाल है, यह मुसीबत कब खत्म होगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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