– तुलसी मिश्रा लेन चंपानगर में हो रहे रामकथा के दौरान हुआ राम विवाह
प्रतिनिधि, नाथनगर
यह धरा धाम है, यहां पर हमें अपने पाप-पुण्य को भुगतना पड़ता है. श्री राम जैसा आदर्श केवल राम ही हो सकते हैं. श्री राम क्षत्रिय थे, क्षत्रिय का कार्य सबकी रक्षा करना है. चार तरह के वर्ण होते हैं. ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र. हमारा मुख मंडल ब्राह्मण, वक्ष स्थल क्षत्रिय, उदर वैश्य और उसके नीचे का भाग सेवक का होता है. वैश्य का कार्य धन दौलत के द्वारा पालन करना है. श्री राम ने कहा क्षत्रिय का धर्म है, ब्राह्मण और गौ माता की रक्षा करें, देश की रक्षा करे. यह प्रसंग मंगलवार को प्रयागराज से पधारे मां कामाख्या उपासक नीरज स्वरूप महाराज की कृपा पात्र शिष्या एवं कथा वाचिका देवी मीरा किशोरी जी ने कही. मौका था तुलसी मिश्रा लेन चंपानगर में हो रहे रामकथा का.भगवान श्री राम और माता सीता के स्वयंवर विवाह का प्रसंग सुनने के बाद प्रवचन के दौरान मौजूद श्रद्धालु झूम रहे थे. प्रसंग के दौरान भगवान का विवाह संपन्न हुआ. लोग जय श्री राम और जय श्री सीता राम के का जयकारा लगा रहे थे. प्रवचन से पूर्व यजमान भवेश कुमार झा द्वारा वेदी पूजन किया गया. आरती के पश्चात प्रवचन शुरू हुआ.इस मौके पर इस दौरान कामख्या उपासक गुरूदेव नीरज स्वरूप जी महाराज सहित प्रवेश राजहंस, सजय कुमार झा, शरत चंद्र मिश्र, प्रशांत झा, राजीव झा, परिमल ठाकुर, प्रियरंज झा, जीवन झा, गोपाल रजक, कृष्णा मिश्र, राजकृष्ण मिश्र, राजू राजहंस, राकेश कुमार, शुभम झा आदि मौजूद थे.
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