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bhagalpur news. कहीं नॉन अटेंडिंग स्कूल बन कर न रह जाये बरारी उच्च विद्यालय के प्लस टू की कक्षाएं

राय हरि मोहन ठाकुर बहादुर हाइस्कूल बरारी की स्थापना वर्ष 1877 में स्थानीय जमींदार परिवार ने जमीन दान देकर करायी थी.

संजीव झा, भागलपुर राय हरि मोहन ठाकुर बहादुर हाइस्कूल बरारी की स्थापना वर्ष 1877 में स्थानीय जमींदार परिवार ने जमीन दान देकर करायी थी. इसका नाम पढ़ने में जितना लंबा है, उतना ही लंबा इसका इतिहास भी है, लेकिन हाल के वर्षों में इसकी हालत खराब होती चली जा रही है. प्लस टू की कक्षाओं में लगातार विद्यार्थियों की उपस्थिति में कमी आ रही है. इस कारण कहीं यह नॉन अटेंडिंग स्कूल बन कर न रह जाये, इस बात की आशंका गहरी होती जा रही है. इसकी मूल वजह शिक्षा विभाग की उपेक्षा है. शिक्षकों की पोस्टिंग नहीं हो रही है. यहां नौवीं से 12वीं कक्षा तक 743 विद्यार्थी नामांकित हैं और उन्हें पढ़ाने के लिए प्रधानाध्यापक समेत सिर्फ छह शिक्षक पदस्थापित हैं. इसका हिसाब करें, तो तकरीबन 124 स्टूडेंट पर एक शिक्षक नियुक्त हैं. कई विषयों में शिक्षक नहीं है. इस मामले में स्थानीय अभिभावक गुस्से में हैं.

स्थानीय लोगों ने क्या कहा

फोटो : स्थानीय लोगों की

विद्यालय में शिक्षकों की कमी का न सिर्फ स्थानीय अभिभावकों में गुस्सा है, बल्कि विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों में भी शिक्षा विभाग के प्रति नाराजगी है. विद्यालय प्रबंध समिति सदस्यों व अभिभावकों ने बताया कि शिक्षा विभाग के पास बरारी हाइस्कूल के सारे आंकड़े उपलब्ध हैं. विभाग को यह भी पता है कि यहां शिक्षकों की कमी है, लेकिन अधिकारी को इस बात से मतलब ही नहीं है कि विद्यार्थी आधी-अधूरी पढ़ाई कर रहे हैं. इस वजह से कई स्टूडेंट ने कोचिंग की शरण ले ली है.

प्लस टू की कक्षाओं व शिक्षकों की रिक्ति

गणित : 01

भौतिकी : 02

केमिस्ट्री : 02

जूलॉजी : 01

बॉटनी : 01

अंग्रेजी : 01

हिंदी : 01

राजनीतिशास्त्र : 01

समाजशास्त्र : 01

अर्थशास्त्र : 01

मनोविज्ञान : 01

गृह विज्ञान : 01

कंप्यूटर साइंस : 01

दर्शनशास्त्र : 01

उर्दू : 01

नौवीं व 10वीं कक्षा में शिक्षकों की रिक्ति

विज्ञान : 01

सामाजिक विज्ञान : 02

अंग्रेजी : 01

हिंदी : 01

डीएम को लिखा गया पत्र

बरारी हाइस्कूल के प्रबंध समिति सदस्य सह भाजपा प्रवक्ता विजय झा गांधी ने स्कूल की समस्या को लेकर जिलाधिकारी को पत्र दिया है. जिसमें उन्होंने लिखा है कि स्कूल में शिक्षकों की कमी की वजह से जो अभिभावक आर्थिक रूप से मजबूत हैं, वे अपने बच्चों को प्राइवेट कोचिंग में भेजने लगे हैं, लेकिन ऐसी सुलभता सभी के साथ नहीं है. अधिकतर बच्चे गरीब परिवार के हैं. उनकी पढ़ाई बाधित हो रही है. शिक्षकों की पदस्थापना की कार्रवाई यथाशीघ्र की जाये. उन्होंने बताया कि स्कूल की समस्या से डीईओ को भी विस्तृत रूप से अवगत कराया गया है. अगर कोई ठोस पहल जल्द नहीं हुई, तो इस मामले को लेकर राज्य मुख्यालय तक का दरवाजा खटखटाने से नहीं चूकेंगे.

कोट :

मुख्य समस्या कक्षा संचालन की है. इंटर में बच्चे कम आते हैं. इसमें 225 नामांकित हैं. औसतन उपस्थिति 120 से 140 तक की है और उनको अंग्रेजी, हिंदी व स्मार्ट क्लास की पढ़ाई के बाद छुट्टी दे देते हैं. 10वीं में संगीत के शिक्षक हिंदी भी पढ़ा देते हैं. सामाजिक विज्ञान नहीं पढ़ा पाते हैं. जानकारी मिल रही है कि जल्द शिक्षक मिलेंगे.

गणेश चौधरी, प्रधानाध्यापक, आरएचएमटीबी हाइस्कूल, बरारी

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