– आत्मा, भागलपुर अंतर्गत प्रशिक्षण भवन में दो दिवसीय मधुमक्खी पालन- तिलहन फसल विषयक जिलास्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में बोले डीएओ प्रेमशंकर प्रसाद
वरीय संवाददाता, भागलपुर
आत्मा, भागलपुर अन्तर्गत प्रशिक्षण भवन में बुधवार को दो दिवसीय मधुमक्खी पालन (तिलहन फसल) विषय पर जिलास्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. जिला कृषि पदाधिकारी प्रेमशंकर प्रसाद ने कहा कि कृषि के साथ मधुमक्खी पालन किया जाये, तो कम समय में अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है. किसान अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं. मधुमक्खीपालन अंतर्गत फसलों/प्राकृतिक पौधों की प्रजातियों से मधुमक्खी को पराग मिलता है, इसके लिए किसी अतिरिक्त जमीन की आवश्यकता नहीं है. शहद उत्पादन के लिए जरूरी कच्चा माल मुफ्त में प्राप्त हो जाता है. यह उद्योग शहद, मधुमक्खी मोम, शाही जैली और मधुमक्खी के विष उत्पादन से जुड़ा है. अतः यह भूमिहीन एवं सीमांत किसानों के लिए आमदनी में वृद्धि का बढ़िया जरिया है.
दलहन-तिलहन फसल के साथ हो सकता है सहद का उत्पादन
कार्यक्रम का उद्घाटन प्रेम शंकर प्रसाद, उप परियोजना निदेशक प्रभात कुमार सिंह, उद्यान विभाग के सहायक निदेशक अभय कुमार मंडल, प्रशिक्षक संजय चौधरी ने संयुक्त रूप से किया. अभय मंडल ने कहा कि हमारे राज्य में तिलहन का उत्पादन कम होने से तेल निकालने में भी मिलावट की जाती है, जिससे खराब तेल के उपयोग से बहुत सी बीमारियां हो रही है. अगर हम दलहन / तिलहन की खेती के साथ मधुमक्खी पालन करते हैं, तो आय में 20 प्रतिशत तक वृद्धि होती है. साथ ही पोषक और प्रोटीन युक्त खाद्य भी प्राप्त होता है. सहायक निदेशक, उद्यान द्वारा उद्यान निदेशालय अंतर्गत संचालित मधुमक्खी बॉक्स पर अनुदान के लिए प्रशिक्षण का महत्व बताया गया. मौके पर प्रखंड तकनीकी प्रबंधन, शाहकुंड राजीव लोचन, समेत प्रखंड के प्रखंड तकनीकी प्रबंधक, सहायक तकनीकी प्रबंधक सहित प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है