-कभी शिक्षा क्षेत्र में भागलपुर को प्रदेश स्तर पर प्रथम स्थान पर पहुंचाने के लिए मिला था अवार्ड, अब सेब से लेकर अमरूद व केला तक की छत पर कर रहे बागवानी, खुद भी खाते हैं और पड़ोसियों को भी खिलाते हैंदीपक राव, भागलपुर
कभी शिक्षा क्षेत्र में सिल्क सिटी को प्रदेश स्तर पर प्रथम स्थान दिलाने के लिए अवार्ड पा चुके मोहद्दीनगर के 70 वर्षीय रामदेव सिंह छत पर बागवानी का अनोखा मॉडल तैयार कर दिया. इतना ही नहीं लंबे समय से खेती करने वाले किसान व बागवां भी हैरत में है. अनोखा फल व सब्जियां छत पर ही उपजाते हैं. खुद तो खाते ही हैं, पड़ोसियों को भी खिलाते हैं.800 स्क्वायर फीट में 50 प्रकार फल व सब्जियों की कर रहे बागवानी
मध्य विद्यालय मोहद्दीनगर में प्राचार्य रह चुके रामदेव सिंह ने बताया कि 800 स्क्वायर फीट के छत पर 50 प्रकार के फल व सब्जियों की बागवानी कर रहे हैं. अभी छत पर रोज एपल, तरह-तरह के अमरूद, अनार, तरह-तरह के बेर, जामुन, काला शरीफा, ड्रेगन फ्रूट, अश्वगंधा, शहतूत, ऑल स्पाइश प्लांट को उगाया है. इसके अलावा बैगन, धनिया, लहसून, अजवाइन, पत्ता गोभी, फूलगोभी, आकर्षक टमाटर आदि की भी खेती छत पर कर रहे हैं. एक-एक अमरूद 250 से 350 ग्राम के और बेल दो किलोग्राम वजन के हैं. मीठा बेर 100 ग्राम से अधिक वजन का है.रामदेव सिंह ने बताया कि छत के तीन तरफ तीन फीट चौड़ी और दो फीट ऊंची दीवार देकर कंपोष्ट व मिट्टी देकर बागवानी योग्य जमीन तैयार की. छत के नीचे मोटे प्लास्टिक को कोड कर दिया है, ताकि नमी का कोई अंश ढलाई को खराब नहीं कर सके.जगह-जगह पानी निकलने की व्यवस्था ड्रेगन होल कर दी है. इसत तरह की खेती खुद ही शुरू की. पहले कहीं देखा भी नहीं है. इस मॉडल को अन्य लोग भी अपनाने के लिए तैयार हैं.
बीएयू के विशेषज्ञ व एचओडी आकर मानते हैं लोहा
रामदेव सिंह ने बताया कि छत पर बागवानी में सरकार की किसी योजना का लाभ नहीं लिया गया. बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के विशेषज्ञ व अलग-अलग विभाग के एचओडी ने आकर मुआयना की और खुद उनका लोहा भी माना.पांच बार बेर व अमरूद के लिए मिल चुका है प्रथम पुरस्कार, प्रधानमंत्री से मिलने की है चाहत
पांच बार बिहार कृषि विश्वविद्यालय व कृषि विभाग की ओर से लगायी गयी प्रदर्शनी में बेर व अमरूद के लिए प्रथम पुरस्कार पांच बार जीत चुके हैं. अब किसानों से मिलने भागलपुर आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की चाहत है. उन्हें बेर व अमरूद सौगात के रूप में भेंट करना चाहते हैं. प्रतिदिन अमरूद व बेर को बंदर से बचाव को लेकर लगे रहते हैं. उनका कहना है कि जैसे राम के लिए सबरी ने बेर रखा था, उसी तरह बड़ा और मीठा बेर व अमरूद को सहेज कर रख रहे हैं.सिल्क सिटी में मोहद्दीनगर मध्य विद्यालय को बनाया था टॉप
रामदेव सिंह ने प्राचार्य रहते हुए सिल्क सिटी में मोहद्दीनगर मध्य विद्यालय को टॉप बनाया था. इसके लिए शिक्षा विभाग के पदाधिकारी की ओर से पुरस्कृत किया गया था. बिहार शिक्षा परियोजना में अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए एक बार पूरे प्रदेश में द्वितीय व दूसरी बार पहले पायदान पर लाकर परियोजना के डायरेक्टर रहे व्यासजी के हाथों दो-दो बार अवार्ड प्राप्त किया. उन्होंने बताया कि उन्होंने बताया कि अपनी नौकरी-पेशा में रहते हुए परिवार की जिम्मेदारी का भी बेहतर तरीके से निवर्हन किया. पत्नी गीता कुमारी गृहिणी है, जिनके सपोर्ट से पुत्र व पुत्री भी बड़े ओहदे पर कार्यरत है. बड़ा पुत्र पहले बीएचयू आइआइटी के प्रोफेसर और अब बीआइटी मेसरा में प्रोफेसर हैं. दूसरा पुत्र जेएनयू से एमफील और अब पीएचडी कर रहा है. एक पुत्री महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से एमएफए और दूसरी भी बीएड में अपने बैच में टॉपर रही है. पारिवारिक कारणों से बीपीएससी फैस होने पर भी सर्विस में नहीं गयी.
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