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अधिकारियों के साथ मिल टारगेट बनायें, तभी लंबित वादों का होगा निबटारा

भागलपुर : न्यायाधीश और आप (वकील) दाेनों की जिम्मेदारी बढ़ती जा रही है. मुकदमों की कमी नहीं है. किसी मुवक्किल को वापस नहीं कर सकते. यह मान कर चलिये कि आदमी तीन जगह मजबूरी में जाता है. वो है पुलिस थाना, दूसरा है चिकित्सालय और तीसरा न्यायालय. सभी का परम कर्तव्य होना चाहिए कि जो […]

भागलपुर : न्यायाधीश और आप (वकील) दाेनों की जिम्मेदारी बढ़ती जा रही है. मुकदमों की कमी नहीं है. किसी मुवक्किल को वापस नहीं कर सकते. यह मान कर चलिये कि आदमी तीन जगह मजबूरी में जाता है. वो है पुलिस थाना, दूसरा है चिकित्सालय और तीसरा न्यायालय. सभी का परम कर्तव्य होना चाहिए कि जो न्यायालय आया है उसे शीघ्रता पूर्वक न्याय मिले. इस कड़ी में हमें सप्ताह में सातों दिन 24 घंटे काम करना होगा. ये बातें पटना हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस अमरेश्वर प्रताप शाही ने बुधवार को जिला विधिज्ञ संघ के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में कही.

उन्होंने कहा कि आज की परिस्थिति में कोई मुवक्किल रात आठ बजे आयेगा तो उसे लौटा कर 10 बजे नहीं बुलाते, आप उसे समय देते हैं. वैसे ही न्यायिक प्रक्रिया में, कभी-कभी अदालतों को भी, प्राय: मैंने देखा है कि जहां तक फौजदारी मामले, जमानती कोर्ट होता है, वहां मजिस्ट्रेट प्राय: छह बजे से पहले नहीं जाते हैं. उन्होंने आह्वान किया कि 24 घंटे सातों दिन की तर्ज पर अगले दो दशक तक काम करेंगे, तब जाकर लंबित वाद पूरे होंगे. इस कारण अनुरोध है कि अधिकारियों के साथ वकील मिलकर एक टारगेट बनायें और उसको पूरा करने में सहयोग करेें.
उन्होंने कहा कि कम से कम जो 20वीं सदी के मुकदमे हैं, वर्ष 2000 तक के केस के निबटारे में एडजर्नमेंट(स्थगन) न लें, तो बेहतर होगा. कम से कम 20वीं सदी के मुकदमे खत्म हो जायेंगे, तो 21वीं सदी में, जो आपकी(वकीलों से) नयी आनेवाली पीढ़ी हैं, उन पर पुरानी सेंचुरी का भार तो कम से कम नहीं रहेगा. इस दौरान जिला विधिज्ञ संघ के अध्यक्ष अभयकांत झा ने सम्मान कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए कहा कि चीफ जस्टिस वकीलों की सुविधा, डीबीए बिल्डिंग, लाइब्रेरी की जरूरत को लेकर सदैव चिंतित रहते हैं. तपती गर्मी में विभिन्न जिलों के न्यायिक परिसर का दौरा कर रहे हैं.
आयोजन के दौरान संघ महासचिव संजय कुमार मोदी ने चीफ जस्टिस को वकीलों के बैठने के लिए प्रस्तावित नये बिल्डिंग में अब तक की कार्यवाही के कागजात दिये. इस मौके पर सत्र न्यायाधीश एके पांडेय, स्टेट बार एसोसिएशन के कामेश्वर पांडे, पीएन ओझा के अतिरिक्त सहित सभी अधिवक्ता नभय चौधरी, वीरेश मिश्रा, रामनाथ गुप्ता, कौशलेंद्र नाथ सहाय, नीतीश सिंह, संदीप झा, डॉ अजीत कुमार सोनू, राजू यादव मौजूद थे.
अध्यक्ष ने जो पटना में बताया, उससे भी निम्न स्तर की स्थिति में वकील काम कर रहे हैं : चीफ जस्टिस ने झोंपड़ीनुमा वकीलों के चैंबर पर चिंता जताते हुए कहा कि संघ अध्यक्ष अभयकांत झा ने पटना में मुलाकात की थी तो उन्होंने यहां की स्थिति के बारे में बताया था. उन्होंने जो बातें बतायीं, उससे भी निम्न स्तर की स्थिति में वकील यहां काम कर रहे हैं. मुझे आश्चर्य लग रहा है कि कोई नया भवन नहीं बना. जबकि इस दौरान अधिवक्ताओं की संख्या 50 गुना अधिक बढ़ गयी है.
उसके अनुपात में जगह नहीं है. अपने पूरे दौरे से लौटने के बाद वकीलों के बैठने को लेकर अधिकारियों से बात करेंगे. वकील झुग्गी झोंपड़ी में बैठकर काम कर रहे हैं. यहां पर भवन बनने से सेक्शन वाइज वकील का चैंबर होगा. जमीन अगर तय हो जायेगा तो भवन भी बन जायेगा. कम से कम 3000 वकीलों के बैठने की जगह हो जायेगी. उन्होंने कहा कि राज्य व केंद्र सरकार फंड दे रही है. इस कारण पैसे की दिक्कत नहीं है. बस जमीन की दिक्कत है, जिसके बारे में अधिकारियों से बात करेंगे.
यह भी दोहराया कि जहां तक सुविधाओं में पानी, बिजली व पार्किंग की बात है तो जहां जमीन का सिलसिला तय हुआ है, वहां पर यह जल्द दिया जायेगा. पार्किंग की समस्या मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बनने से खत्म हो जायेगी. चीफ जस्टिस ने कहा कि यहां लाइब्रेरी आधुनिक होना चाहिए.

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