भागलपुर : दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह ताेमर मंगलवार को टीएमबीयू की अंतिम सुनवाई में भागलपुर नहीं पहुंचे. टीएमबीयू ने सुनवाई पूरी कर तोमर की लाॅ की डिग्री काे रद्द करने के अपने दो साल पुराने फैसले काे सही ठहराया. मंगलवार काे मामले की अंतिम सुनवाई करते हुए रजिस्ट्रार अरुण कुमार सिंह ने यह निर्णय दिया.
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तोमर की डिग्री रद्द करने का फैसला सही : टीएमबीयू
भागलपुर : दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह ताेमर मंगलवार को टीएमबीयू की अंतिम सुनवाई में भागलपुर नहीं पहुंचे. टीएमबीयू ने सुनवाई पूरी कर तोमर की लाॅ की डिग्री काे रद्द करने के अपने दो साल पुराने फैसले काे सही ठहराया. मंगलवार काे मामले की अंतिम सुनवाई करते हुए रजिस्ट्रार अरुण कुमार सिंह ने […]
बुधवार काे इस निर्णय की प्रति पटना हाई काेर्ट काे उपलब्ध करायी जायेगी. ताेमर की जगह सुनवाई में उपस्थित हुए उनके वकील अभिजीत ने कहा कि विवि ने सहयाेग नहीं किया. पक्ष रखने के लिए कम समय दिया. इसलिए वह फिर काेर्ट जायेंगे. वकील के बयान से लग रहा है कि तोमर और विवि प्रशासन के बीच रसाकस्सी जारी रह सकती है. डिग्री रद्द के फैसले को सही ठहराने के बाद मामले की पूरी जानकारी टीएमबीयू के लीगल काे-अाॅर्डिनेटर राजेश कुमार तिवारी ने दी. उन्होंने कहा कि काेर्ट ने डेढ़ साल पहले दोनों पक्षों की सुनवाई व मामले का निबटारा करने का तीन माह का समय दिया था, लेकिन ताेमर या उनके वकील समय पर नहीं पहुंचे.
इस तरह डेढ़ साल देखते-देखते बीत गये. ताेमर काे पक्ष रखने के लिए कई बार माैके दिये गये. अाखिरकार मंगलवार काे अंतिम सुनवाई का दिन तय किया गया. इस बार भी ताेमर की जगह उनके वकील अाये. ताेमर के वकील अपना पक्ष रखने की जगहपिटीशन देकर फिर समय लेना चाह रहे थे.
तोमर के वकील ने कहा, सुनवाई में टीएमबीयू ने किया असहयोग
पूर्व कानून मंत्री तोमर के वकील अभिजीत का कहना है कि सोमवार को विश्वविद्यालय ने पूर्व कानून मंत्री की पेशी को लेकर पत्र जारी किया. ऐसे में 1200 किलोमीटर दूर से कोई व्यक्ति भागलपुर कैसे पहुंच सकता है. रविवार शाम को यूनिवर्सिटी का मेल मिला था. साथ ही पांच अप्रैल को विश्वविद्यालय को पत्र लिख कर दस्तावेज मांगे गये, जिसके आधार पर एलएलबी की डिग्री को रद्द किया गया. जिनके बयान के आधार पर डिग्री रद्द की गयी, उनसे भी बात करने का मौका नहीं दिया गया. विश्वविद्यालय ने कोई सहयोग नहीं किया. पटना हाई कोर्ट ने कहा है कि तिलकामांझी विश्वविद्यालय पूर्व कानून मंत्री को सभी दस्तावेज उपलब्ध कराये, जिसके आधार पर डिग्री रद्द किया गया. ताेमर के वकील ने कहा कि एक अप्रैल काे टीएमबीयू का नाेटिस मिला था अाैर 10 अप्रैल काे बुलाया गया था. पांच अप्रैल काे उन्हाेंने ई-मेल से विवि काे जवाब भेजा था. विवि ने मांगे गये कई प्रपत्र उपलब्ध नहीं कराये. विवि जिन 16 गवाहाें की बात कह रहा है, उनसे क्राॅस एग्जामिनेशन करना था, जाे नहीं हुअा.
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