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अमरजीत राय हत्‍ययाकांड : चंपारण मीट हाउस का मालिक रिंकू गिरफ्तार

भागलपुर : मार्बल व्यवसायी अमरजीत राय उर्फ बिट्टू की हत्या के आरोप में पुलिस ने बुधवार को चंपारण मीट हाउस के मालिक रिंकू सिंह और शूटर शेरू को गिरफ्तार कर लिया. हत्या की साजिश शेरू के घर पर 18 अप्रैल को बनी थी. इसके बाद छह शूटरों ने अमरजीत की एक दिन तक रेकी की. […]

भागलपुर : मार्बल व्यवसायी अमरजीत राय उर्फ बिट्टू की हत्या के आरोप में पुलिस ने बुधवार को चंपारण मीट हाउस के मालिक रिंकू सिंह और शूटर शेरू को गिरफ्तार कर लिया. हत्या की साजिश शेरू के घर पर 18 अप्रैल को बनी थी. इसके बाद छह शूटरों ने अमरजीत की एक दिन तक रेकी की. भागने का रास्ता तलाशने के बाद इन शूटरों ने राणा मियां के आदेश पर अमरजीत को बड़ी पोस्ट आॅफिस के सामने गोली मार दी. पूरा मामला जमीन विवाद से जुड़ा है. हत्या के पीछे का कारण 75 लाख रुपया बना. इस मामले का खुलासा गुरुवार को डीआइजी विकास वैभव और एसएसपी अशीष भारती ने किया.
छह अप्रैल को पैसे देने की बात हुई थी फेल : अमरजीत की हत्या की रणनीति शेरू के घर तय की गयी थी. यहीं सभी शूटर जुटे थे. सभी ने साथ में खाना पीना किया और सारी योजना तैयार की. साथ ही सीसीटीवी फुटेज से कैसे बचना है इसका भी तरीका निकालने का प्लान किया. लेकिन संचार के साधन ने इन सभी को सलाखों के पीछे कर दिया. अमरजीत की हत्या के बाद शूटर ने शेरू को मोबाइल से जानकारी देना शुरू किया.
कुछ मिनट के बाद शेरू ने सभी को अपने घर खंजरपुर बुलाया. सभी शूटर उसके घर आ गये. शेरू ने पुलिस को बताया कि अमरजीत की हत्या की योजना कुछ दिनों पहले से बनायी जा रही थी. छह अप्रैल को अमरजीत को 75 लाख वापस करने के पहले डेट के फेल होने के बाद से ही वह लकी के साथ मिल कर प्लानिंग करने लगा था. घटना से दस दिन पहले नाढ़ा और शेरू की मुलाकात हुई थी.
अभिषेक के स्टाफ लकी ने निभायी महत्वपूर्ण भूमिका
अधिकारियों ने बताया अमरजीत की हत्या अभिषेक और रिंकू सिंह ने राणा मियां को सुपारी देकर करायी थी. इसमें अभिषेक के स्टाफ लकी उर्फ शाहनवाज ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. लकी ने कुख्यात नाढ़ा को खंजरपुर के रहनेवाले शेरू के पास भेजा और कहा कि नाढ़ा राणा मियां का आदमी है. शेरू ने दो शूटर तैयार किया. इसमें मौलानाचक का आसिफ उर्फ लाल बाबू और यहीं का आमिर शामिल था. यानी अमरजीत की हत्या में कुल छह शूटर को लगाया गया था. इसमें नाढ़ा, आसिफ, आमिर के साथ-साथ राणा मियां के तीन शूटर शामिल थे. पुलिस राणा मियां के शूटर की तलाश अभी भी कर रही है. इन तीनों की पहचान अभी तक नहीं हो पायी है.
घटना के दिन भी हुआ था विवाद
बताया जा रहा है कि घटना के दिन भी अमरजीत और अभिषेक के बीच रुपये को लेकर विवाद हुआ था. तिलकामांझी में दोनों के बीच जम कर बहस हुई थी. इसके बाद अभिषेक अरमजीत की दुकान पर गया था जहां दोनों में बहस हुई थी. कहा जा रहा है कि उस समय की बहस के बाद अभिषेक ने लकी से बात की थी.
मोबाइल टावर लोकेशन ने खोला राज
भागलपुर : पूछताछ में आरोपितों ने कई राज उगले हैं. आरोपितों ने जो बातें कहीं उसके तार मिलाने के बाद तथ्य मुकम्मल होने के बाद ही पुलिस ने हत्याकांड का खुलासा किया. अमरजीत की हत्या के बाद पुलिस ने संदिग्ध नंबरों का टावर लोकेशन निकालना शुरू कर दिया था. सौ से ज्यादा सीसीटीवी फुटेज को खंगाला गया. मोबाइल टावर लोकेशन और सीडीआर की जांच करायी गयी.
इसमें राणा मियां के खास लोगों को घटना स्थल के आसपास लोकेशन मिला. संदिग्ध नंबरों की जांच की गयी तो पता चला कि उनमें से एक नंबर शेरू का था.इस नंबर पर काफी देर तक बात होने की बात हुई थी. इसके बाद पुलिस ने शेरू को उठाया और इसने सारी बातों को पुलिस के सामने उगलना शुरू कर दिया.
रात नौ बजे चली थी गोली, जब तक लोग कुछ समझ पाते खत्म हो चुका था मार्बल व्यापारी अमरजीत : 19 अप्रैल रात के नौ बजे. अचानक दो बाइकों पर सवार दो शूटर आये और मार्बल व्यापारी के सिने पर गोली उतार दिया. जब तक कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ही इसकी मौत हो चुकी थी . अमरजीत अपने एकलौती बेटी के जन्म दिन के लिए केक आर्डर करने गया था. अमरजीत का घर डॉ आरएन झा की गली में है. जो घटना स्थल से महज कुछ ही दूरी पर है. अमरजीत का मार्बल दुकान भगत सिंह चौक के समीप दुकान था. कुछ ही दूरी पर अमरजीत के हत्या का साजिश करने वाला रिंकू की दुकान चंपारण मिट हाउस है.
मामले की जानकारी होने के बाद आईजी सुशील मान सिंह खोपड़े, डीआइजी विकास वैभव, तत्कालीन एसएसपी मनोज कुमार, डीएसपी शहरयार अख्तर समेत करीब आधे दर्जन थाना प्रभारी पहुंचे थे. घटना की सूचना अमरजीत के परिवार को इसका दोस्त कुक्कू ने दिया था. इसने ही सबसे पहले पुलिस को बताया था कि अमरजीत को लगातार अभिषेक धमकी दे रहा था. इसके बाद दूसरे दिन पिता ने 75 लाख लेन देन का मामला पुलिस को बताया. जिसके बाद पुलिस ने अभिषेक को गिरफ्तार कर दो दिनों तक पूछताछ की.
इसमें पुलिस को कई अहम सुराग हाथ लगा था. दूसरी और अमरजीत को चार दिनोंं से धमकी भरा फोन आ रहा था. फोन करने वाला राणा मियां था. जो जान से मारने की धमकी दे रहा था. इसके खौफ के कारण अमरजीत दूसरे राज्य में बसने की बात करने लगा था. हत्या कांड के बाद अमरजीत के परिजनों ने पहले ही दिन से अभिषेक पर शक जाहिर कर दिया था. इसके बाद पुलिस हरकत में आयी. इस इलाके के हर सीसी टीवी फुटेज को खंगालना शुरू कर दिया. साइबर टीम को भी इस काम में लगाया गया.
पुलिस की चार टीम इस मामले को ले संदिग्ध से पूछताछ कर रही थी. ठेकेदार, स्थानीय अपराधी के साथ साथ बाहरी अपराधी को भी पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ की. इस मामले में कई बार ऐसे में नाम आये जिसको सुन कर लोग चर्चा करने लगे.
प्रभात खबर की हत्याकांड को लेकर थी पैनी नजर, लगातार छप रही थी खबर
इस बाबत बताया जा रहा है कि शेरू का जमीन विवाद चल रहा था. इसके समाधान के लिए इसने डीआइजी और बरारी थाने में गुहार लगाया था. शक होने पर बरारी पुलिस ने शेरू को जमीनी विवाद सुलझाने की बात कह थाना बुलाया. इसके बाद इसे थाने में बैठा गया. अपने बेटे को खोजने इसके मां बाप थाना गये तो इनको भी पुलिस ने प्रेम से घर भेज दिया. इसके बाद करीब 48 घंटे की पूछताछ के बाद शेरू ने हत्याकांड का परत खोलना आरंभ कर दिया.
कमान संभालने के पहले ही एसएसपी लग गये थे मामले को सुलझाने में
एसएसपी मनोज कुमार का तबादला होने के बाद नये एसएसपी आशीष भारती ने हत्या के इस मामले को लेकर योगदान से पहले ही कार्य करना आरंभ कर दिया था. कड़ी मेहतन और टीम वर्क के बाद अमरजीत हत्या कांड का खुलासा करने में सफलता मिला. डीआइजी विकास वैभव और एसएसपी आशीष भारती ने कहा कि यह टीम वर्क का नतिजा है.
एसआईटी हेड सिटी डीएसपी शहरयार अख्तर की कड़ी मेहनत और इशाकचक थानाध्यक्ष, जीरोमाइल थानाध्यक्ष, तिलकामांझी थानाध्यक्ष, जोगसर ओपी प्रभारी, बरारी थानाध्यक्ष, बबरगंज थानाध्यक्ष और डीआईयू के प्रभारी ने भी अपने कार्य को बखूबी निभाया . सभी का कार्य सराहनीय रहा.
दाउटबाद की जमीन विवाद के बाद अभिषेक का राणा मियां से बना था रिश्ता
भागलपुर : अभिषेक ने दाउदवाट में 22 कट्टा जमीन खरीदी थी. जमीन विवादित थी. इस पर अपना कब्जा जमाने के लिए अभिषेक ने लक्की की सहायता से राणा मियां से संपर्क किया. राणा मियां ने इस जमीन पर अभिषेक का कब्जा जमाया. पुलिस ने आरोपितों से पूछताछ के बाद खुलासा किया कियहीं से राणा और अभिषेक की दोस्ती हो गयी. इसी जमीन की खरीद के लिए अमरजीत ने अभिषेक को 75 लाख रुपया दिया था.
जब अमरजीत अभिषेक से रुपया मांगना शुरू करने लगा, तो राणा मियां तक इस बात को ले जाया गया. अभिषेक और लक्की ने राणा मियां से कह कर अमरजीत को रास्ते से हटाने के लिए सुपारी दे दिया. यहीं बता दे कि दाउदवाट में किन्नू मियां ने 22 बीघा जमीन खरीदी थी जिसमें अभिषेक पार्टनर था. यह डील एक करोड़ की थी जिसमें जमीन मालिक को 48 लाख दिये गये थे. उस जमीन की डील में भी राणा मियां का हाथ था. राणा मियां से उस जमीन की डील कराने में अभिषेक के स्टाफ लकी की अहम भूमिका थी. इसके अलावे अमरजीत ने तिलकामांझी में जमीन खरीदने के लिए रुपया अभिषेक को दिया था.
राणा मियां है आतंक का दूसरा नाम
भागलपुर. राणा मियां शहर के आतंक का दूसरा नाम है. हत्या, जमीन विवाद, रंगदारी समेत हर वो काम जो कानून की नजर में गुनाह है वो राणा के लिए आसान है. माना जाता है कि बिना इसके अनुमति के शहर में कोई भी व्यापारी अपने व्यापार को आगे नहीं बढ़ा सकता है. इसके गुर्गे हरेक बड़े व्यापारी से रंगदारी के रूप में प्रत्येक माह रकम वसूल करता है. हाल फिलहाल राणा मियां का नाम वकील आरजू हत्या कांड में भी सामने आया था. इस हत्या कांड के पीछे भी कारण जमीन को बताया जा रहा है. जिसके बाद राणा के इशारे पर आरजू को गोली मार दी गयी थी.
राजनीति रंग में रंगने से पहले ही हो गया मामले का खुलासा
पहले तो इस मामले ने संदिग्धों के कारण पुलिस को परेशान किया, फिर बाद में कई तरह की चर्चाएं शहर में होने लगी. एक राजनतिक दल से जुड़े होने के कारण भी अमरजीत हत्याकांड ने राजनीितक सुर्खियां बटोरनी शुरू कर दी, जिसे एसएसपी के एक बयान ने आग में घी डालने का काम किया. एसएसपी ने कहा था कि यदि जरूरत पड़ी तो विधायक से भी पूछताछ होगी. इस मामले में राजनीति आरंभ हो गया था. इसके दूसरे दिन कांग्रेस नेत्रियों ने प्रेस कांफ्रेंस कर कई तरह का आरोप लगाया था.
बुधवार को केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे ने भी बयान दिया. जिससे मामला राजनीति रंग में रंगने जा रहा था. शुक्रवार को हत्या के विरोध में केंडिल मार्च निकालने की बात भी कही जा रही थी. यानी राजनीति की जमीन तैयार थी. इसी बीच पुलिस ने इस मामले को सभी के सामने लाकर रख दिया. अब पुलिस को लेकर जो छवि बन रही थी वह भी हटेगी. अंत में जब तक मामला पूरी तरह से राजनीति रंग में रंगता उससे पहले ही पुलिस के हाथ कामयाबी आ गयी.

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