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भक्ति-भाव से परिपूर्ण कार्तिक माह है अनूठा और अनमोल : स्वामी चिदात्मन

पुनीत कार्तिक कल्पवास के शुभ अवसर पर सर्वमंगला सिद्धाश्रम परिसर में कार्तिक महात्म्य एवं श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ करते हुए स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कहा कि भागवत भाग्यवान को ही प्राप्त होता है.

बीहट. पुनीत कार्तिक कल्पवास के शुभ अवसर पर सर्वमंगला सिद्धाश्रम परिसर में कार्तिक महात्म्य एवं श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ करते हुए स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कहा कि भागवत भाग्यवान को ही प्राप्त होता है. भक्ति भाव से परिपूर्ण कार्तिक माह अनूठा और अनमोल है. इसमें सभी सनातन प्राणी अपने संपूर्ण परिवार, समाज और राष्ट्र के सुख, समृद्धि और संस्कारी जीवन के लिए एक माह का कल्पवास गंगा तट पर संकल्पित होकर करते हैं. इसी माह में भगवान विष्णु चातुर्मास विश्राम के बाद जागते हैं. विश्व का कल्याण हेतु भगवान कृपा की वर्षा करते हैं. वहीं व्यास मंच से विशिष्ट अतिथि डॉ धनाकर ठाकुर ने कहा कि गंगा सेवन का अवसर प्राप्त करने और अपने जीवन को धन्य बनाने के लिए यह मास सर्वोत्तम है. कार्तिक माह भारतीय संस्कृति में अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है. हम सभी सनातनी इहलोक से परलोक के लिए संकल्पित होकर पूजा-पाठ, पर्व-त्यौहार, दान, धर्म का पालन करते हैं.इस अवसर पर व्यास पीठ पर विराजमान पं लक्ष्मण झा ने कहा कि श्रीमद् भागवत पुराण में नारदजी द्वारा कहा गया है कि ज्ञान और वैराग्य से मुक्ति प्राप्ति हेतु भागवत कथा का श्रवण करना चाहिये. जिससे धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है, जो भी श्रोता-श्रद्धालु जिस मनोभाव से इनके शरण में आते हैं उनके सभी प्रकार पाप नष्ट हो जाते हैं और कल्याण की प्राप्ति होती है.

बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष ने संस्कृत विद्यालय का किया निरीक्षण

कार्तिक कल्पवास के शुभ अवसर पर प्रथम दिवस में पधारे हुए बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार झा ने संस्था द्वारा संचालित सर्वमंगला आध्यात्मिक विद्यापीठ संस्कृत विद्यालय का निरीक्षण करते हुए अति प्रसन्नता जाहिर की और कहा कि यह विद्यालय आज के लिए प्रासंगिक है और भारतीय संस्कार और संस्कृति को संरक्षित करने में अपना बहुमूल्य योगदान देता आ रहा है. बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड मंगलमय भविष्य की कामना करता है और साथ ही साथ सतत सहयोग प्रदान करता रहेगा. उनके साथ संस्कृत बोर्ड के सदस्य चंद्र किशोर कुंवर ने कहा कि यह संस्था उत्तर बिहार का संपूर्ण शैक्षणिक केंद्र है. यहां पर धार्मिक,आध्यात्मिक और संस्कृत शिक्षा का त्रिवेणी स्थल है. इस स्थल पर बोर्ड की विशेष कृपा दृष्टि रहनी चाहिए ताकि संस्कृत और संस्कृति का विकास हो सके. इस अवसर पर संस्था के व्यवस्थापक रविंद्र ब्रह्मचारी, प्रो प्रवीण कुमार प्रेम, डॉ विजय कुमार झा, मीडिया प्रभारी नीलमणि, राधेश्याम चौधरी, अरविंद चौधरी, सदानंद झा, राम झा, सुनील भारद्वाज आदि मौजूद थे.

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