डंडारी प्रतिनिधि के अनुसार प्रखंड क्षेत्र की सुहागिन महिलाओं ने सोमवार को अपने पति की लंबी आयु को लेकर व्रत रखी. साथ ही सुखी वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला उपवास में भी रही. इस अवसर पर सुहागिन महिलाएं सुबह से ही वट व पीपल वृक्ष के नीचे पति की दीर्घायु के लिए पूजा-अर्चना व परिक्रमा कर धागा बांधी. ऐसा माना जाता है कि सावित्री ने यमराज से लड़ कर सत्यवान के प्राण वापस लायी थी. इसी प्रेरणा से वट-सावित्री व्रत रखा जाता है और सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए पूजा-अर्चना करती है, ताकि महिलाओं का सुहाग सलामत रहे.
गढ़पुरा प्रतिनिधि के अनुसार प्रखंड क्षेत्र में वट सावित्री की पूजा सोमवार को हर्षोल्लास मनाया गया. बतातें चलें कि अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए बट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या को रखा जाता है. इसी को लेकर सोमवार को गढ़पुरा प्रखंड के धरमपुर, कोरैय, मालीपुर, दुनही, रजौर, कोरियामा, कुम्हारसों, सोनमा, मौजीहरिसिंह समेत सभी गांव में सुहागिन महिलाएं व्रत रख अपने पति के दीर्घायु की कामना किया. इधर दुनही निवासी राजद एमएलसी डा उर्मिला ठाकुर भी वट सावित्री का पूजन अपने पैतृक आवास दुनही में किया. उन्होंने सभी सुहागिन महिलाओं को वट सावित्री पूजन की शुभकामनायें भी दी. कहा जाता है कि धार्मिक मान्यता के अनुसार जो सुहागिन महिलाएं सच्चे मन से इस व्रत को करती हैं तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ उनके पति को लंबी आयु प्राप्त होती है. वट सावित्री पूजन को लेकर प्रसिद्ध पावन शिव नगरी बाबा हरिगिरि धाम में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा अर्चना कर भगवान से मन्नते मांगी एवं इस दौरान व्रतियों ने भगवान शिव के ऊपर जलाभिषेक भी किया.
पूजन के लिए माता सावित्री की मूर्ति, बांस का पंखा, बरगद पेड़, लाल धागा, कलश, मिट्टी का दीपक, मौसमी फल, पूजा के लिए लाल कपड़े, सिंदूर-कुमकुम और रोली, चढ़ावे के लिए पकवान, अक्षत, हल्दी, सोलह श्रृंगार व पीतल का पात्र जल अभिषेक करें. इधर शिक्षक पंडित नवीन झा नेे बताया कि वट-वृक्ष की पूजा हेतु जल, फूल, रोली-मौली, कच्चा सूत, भीगा चना, गुड़ इत्यादि चढ़ाएं और जलाभिषेक करें. पेड़ के चारों ओर कच्चा धागा लपेट कर तीन बार परिक्रमा करें. इसके बाद वट सावित्री व्रत की कथा सुननी चाहिए जिससे धन धान्य और पति की दीर्घायु होता है.नावकोठी प्रतिनिधि के अनुसार प्रखंड क्षेत्र में सोमवती अमावस्या पर महिलाओं ने पीपल वृक्ष की पूजा अर्चना श्रद्धा भक्ति से की. पंडित सुरेश मिश्र ने बताया कि यह आस्था तथा विज्ञान की कसौटी पर खड़ा उतरता है. पीपल सबसे ज्यादा ऑक्सीजन उत्सर्जित कर पर्यावरण को परिष्कृत करता है, तो इसके फेरे लगाने वाले भक्तों को शुद्ध ऑक्सीजन प्राप्त होता है. इस पेड़ के चारों ओर जितने फेरे लगाये जाते हैं, भक्त उतने ही स्वस्थ एवं दीर्घायु होते हैं. इस मौके पर महिलाओं ने अपने परिवार के सदस्यों के स्वस्थ एवं दीर्घायु जीवन के लिए वैदिक रीति रिवाज से पूजन हवन की. महेशवाड़ा, पहसारा, बभनगामा, टेकनपुरा, वृंदावन, डफरपुर, छतौना, नावकोठी, हसनपुर बागर, नावकोठी, रजाकपुर, गम्हरिया, विष्णुपुर, सैदपुर, देवपुरा, समसा, जीतपुर, करैटाड़ आदि में पीपल पेड़ को कच्चे धागे से फेरा लेकर दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन की मंगलकामना की. इससे उत्सवी माहौल बन गया.
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