बेगूसराय.
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 22-23 मार्च को शहीद भगत सिंह, शहीद सुखदेव, शहीद राजगुरु की स्मृति दिवस के अवसर पर विप्लवी पुस्तकालय का द्विदिवसीय वार्षिकोत्सव का आयोजन किया गया है. जिसकी सी तैयारियां लगभग पूरी कर ली गयी है. इस साहित्यिक आयोजन काे लेकर लोगों में जहां उत्साह देखा जा रहा है वहीं स्थानीय लोग आने वाले अतिथियों के स्वागत के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. 22 मार्च (शनिवार) को संध्या सात बजे – सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत प्रेरणा पटना द्वारा तीसरी शताब्दी का मंचन होगा. 23 मार्च (रविवार) को अपराह्न 11 बजे जनसंवाद एवं प्रगतिशील चेतना के सौ साल और चुनौतियां विषय पर परिचर्चा होगी. जिसके मुख्य वक्ता प्रो पुरुषोत्तम अग्रवाल, आलोचक, पूर्व प्राध्यापक जेएनयू हैं. इन्हें ही इस बार का नामवर सिंह स्मृति सम्मान-2025 विप्लवी पुस्तकालय द्वारा प्रदान किया जायेगा. प्रो राम पुनियानी, विचारक, आइआइटी, मुंबई, डॉ सुखदेव सिंह सिरसा, राष्ट्रीय महासचिव प्रलेस, अनिल राजिमवाले, दिल्ली, कृष्णा झा, पत्रकार, लेखिका, प्रो रवींद्र नाथ राय, महासचिव बिहार प्रलेस, प्रो तरुण कुमार, पटना विश्वविद्यालय आदि उपस्थित रहेंगे. इस समारोह की अध्यक्षता प्रो दीपक मलिक, पूर्व निदेशक, गांधी विद्या संस्थान, राजघाट, वाराणसी एवं स्वागत भाषण राजेंद्र राजन, पूर्व विधायक सह संरक्षक प्रतिनिधि करेंगे. इस अवसर पर पुस्तकालय स्मारिका विप्लवी हांक का विमोचन भी आगत अतिथियों के करकमलों से संपन्न होगा. समारोह के लिए अतिथियों का आना शुरू हो चुका है. तोरण द्वार बन रहे हैं. जिले से लेकर गांव इलाके तक साहित्यिक वातावरण बन चुका है. लोगों में काफी उत्साह है. पुस्तकालय कोर कमेटी के सदस्यों के बीच सारी जिम्मेदारियां बांट दी गयी है. विदित हो कि इस पुस्तकालय में चालीस हजार पुस्तकें हैं. ढाई हजार पाठक सदस्य हैं. इ-लाइब्रेरी में फ्री वाईफाई के तहत करीब 55 छात्र-छात्रा प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने रोजाना आते हैं. कम्प्यूटर सीखने सैकड़ों बच्चे रोज इस संस्थान में आते हैं. वाचनालय में रोजाना 50 के करीब युवा बुजुर्ग अखबार पत्रिका पढ़ने आते हैं. पाठक यहां से पुस्तकें निर्गत भी कराते हैं. इस परिसर में शहीद भगत सिंह, शहीद चंद्रशेखर आजाद, महात्मा गांधी, मीराबाई, प्रेमचंद, कबीर, डॉ भीमराव अंबेडकर, कैफी आज़मी, डॉ पी गुप्ता की प्रतिमाएं स्थापित है. जिसे देखने उत्सुकता लोगों में बनी रहती है. इस संस्थान को देखने प्रत्येक दिन बाहर से लोग आते रहते हैं. एक तरह यह एक दर्शनीय स्थल भी बन चुका है. स्कूल के बच्चे भी अपने शिक्षकों के साथ पुस्तक और पुस्तकालय से रूबरू होने आते हैं. डॉ गुप्ता के नाम पर संग्रहालय भी है. जहां खुदाई में प्राप्त मिट्टी के बर्तन, मूर्ति, पुराने बर्तन, सिक्के, बाजा, कपड़े साथ ही नबाब सिराजुद्दौला के सैनिक की तलवार इस संग्रहालय की शोभा बढ़ाती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

