बेगूसराय. एक अप्रैल से स्कूली बच्चों को ऑटो और इ-रिक्शा से ले जाने पर प्रतिबंध शुरू हो गया है. इस आदेश से लगभग पांच हजार स्कूली बच्चे प्रभावित होंगे.
हालांकि जिले के 90 फीसदी विद्यालय अभी फाइनल परीक्षा होने के बाद बंद हैं. कुछ विद्यालयों में 02 अप्रैल को रिजल्ट की घोषणा की जायेगी. इसके बाद विद्यालय का नया सेशन शुरू होगा. सरकार की इस घोषणा से जहां एक ओर इ-रिक्शा और ऑटो चालक काफी परेशान दिख रहे हैं, वहीं विद्यालय प्रबंधन को भी सकते में डाल दिया है. जितने भी विद्यालय में इ-रिक्शा और ऑटो से बच्चे विद्यालय जाते हैं, इसके लिए विद्यालय प्रबंधन को अलग से व्यवस्था करनी पड़ेगी. जिले के अधिकांश विद्यालयों के प्रबंधक इस मामले पर सोचने को विवश हैं.200 विद्यालयों में इ-रिक्शा से जाते हैं बच्चे
एक आंकड़े की बात करें तो लगभग 200 निजी विद्यालयों में इ-रिक्शा और ऑटो से बच्चे विद्यालय जाते हैं. अब इन बच्चों के लिए विद्यालय प्रबंधक को बस अथवा मिनी बस की व्यवस्था करनी पड़ेगी. वहीं, कई ऐसे भी बच्चे हैं, जिनके अभिभावक निजी तौर पर भी इ-रिक्शा का उपयोग स्कूली बच्चों को लाने और ले जाने में करते हैं. ऐसे अभिभावकों के लिए बच्चों को स्कूल पहुंचाना और लाना सिरदर्द साबित होगा.दो हजार इ-रिक्शा बच्चों को लाते-ले जाते हैं स्कूल
जिले में लगभग 2,000 इ-रिक्शा निजी विद्यालय में बच्चों को पहुंचाने और लाने का काम करते हैं. अब इन इ-रिक्शा चालकों के लिए रोजी-रोटी का सवाल पैदा हो गया है. इ-रिक्शा छोटा होने की वजह से शहर के गली-कूची में भी जाकर स्कूली बच्चों को सहूलियत से ढो पाते हैं. लेकिन बस अथवा मिनी बस मेन रोड तक ही रह जाती है. ऐसे में बच्चों को स्कूल जाने के लिए घर से चलकर मेन रोड पर आना पड़ेगा. वैसे अभिभावक जो निजी तौर पर अपने बच्चे को इ-रिक्शा से स्कूल भेजते हैं उनके सामने एक समस्या बन गयी है.सरकार के निर्णय के खिलाफ आंदोलन शुरू
सरकार के इस फरमान को इ-रिक्शा चालकों ने बेबुनियाद बताया है. पिछले दिनों बेगूसराय में इ-रिक्शा चालकों ने एनएच- 31 के पास प्रदर्शन करते हुए नाराजगी जाहिर की थी. इस आदेश को नाइंसाफी बताया था. इस संबंध में इ-रिक्शा चालक संघ के अध्य्क्ष अजीत अकेला ने बताया कि हमारे इ-रिक्शा चालक जो पिछले 20 वर्षों से चला रहे हैं. उनके इ-रिक्शा चढ़कर जाने वाले बच्चे आज डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक समेत कई विधा में परचम लहरा रहे हैं. चालकों ने बताया कि सड़क पर चलने वाले हर तरह के गाड़ियों से खतरा बना रहता है, तो फिर इ-रिक्शा पर बच्चों को ढोने से मनाही क्यों?पर्यावरण के हित में बेहतर है इ-रिक्शा
इ-रिक्शा चालकों ने बताया कि जहां एक ओर सरकार इ-रिक्शा से स्कूली बच्चों को लाने और ले जाने पर पाबंदी लगा दी है. वहीं यह वाहन पर्यावरण के क्षेत्र में बेहतर है. बैट्री से चलने वाला इ-रिक्शा कार्बनडाइऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं करता है. वहीं, डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहन पर्यावरण को दूषित करते हैं. अत्यधिक कार्बनडाइऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं.अपने निर्णय पर सरकार को विचार करना चाहिए
बेगूसराय पब्लिक स्कूल एसोसिएशन के महासचिव मुकेश प्रियदर्शी ने कहा कि निजी विद्यालय कोई भी अपना इ-रिक्शा संचालित नहीं करता है. अभिभावक अपने सुविधा अनुसार इ-रिक्शा का उपयोग कर बच्चे को स्कूल भेजते हैं. सरकार के इस फैसले से जहां एक ओर अभिभावकों की परेशानी बढ़ जायेगी. वहीं स्कूल संचालक भी इस आदेश से प्रभावित होंगे. इ-रिक्शा और ऑटो के लिए सरकार को एक बार पुनः विचार करना चाहिए. सीट के मुताबिक बच्चों को बैठने की सुविधा समेत नियम में बदलाव कर सकती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है