नावकोठी : बीपीएस पब्लिक स्कूल के प्राचार्य डॉ अरविंद कुमार ने अपने परिवेश में किशोर एवं किशोरियों में तेजी से बदलते आचार व्यवहार पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन कर समाज को इस परिस्थिति से सावधानी पूर्वक निबटने की सलाह दी .
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बच्चों में वैज्ञानिक और सामाजिक सोच करें पैदा
नावकोठी : बीपीएस पब्लिक स्कूल के प्राचार्य डॉ अरविंद कुमार ने अपने परिवेश में किशोर एवं किशोरियों में तेजी से बदलते आचार व्यवहार पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन कर समाज को इस परिस्थिति से सावधानी पूर्वक निबटने की सलाह दी . उन्होंने बीपीएस के सभागार में उपस्थित बुद्धिजीविओं को संबोधित करते हुए कहा कि […]
उन्होंने बीपीएस के सभागार में उपस्थित बुद्धिजीविओं को संबोधित करते हुए कहा कि टीन एजर बच्चों के अभिभावक, शायद आपने बच्चों के विचारों, व्यवहारों, पहनावों, नैतिक स्तरों, उनके द्वारा बोले गये अपशब्दों और अन्य गतिविधियों पर गौर करते होंगे और पाते होंगे उनमें बदलाव हो रहा है.
कभी आपको हैरत होती होगी तो कभी अत्यंत कष्ट भी . शायद आपने कारणों को तलाशने की कोशिश भी की होगी. लंबे अरसे से बच्चों के बीच रहते हुए मैंने भी दिन प्रतिदिन हो रहे उनमें परिवर्तनों पर गंभीरतापूर्वक विचार किया और पाया है कि बच्चों पर हमारा प्रभाव तभी तक रहता है,जब तक वे हमारे घर-आंगन तक रहते हैं.
वे ज्योंही घरों की दहलीज को लांघ कर पड़ोसियों, पाठशालाओं, खेल के मैदानों, पार्टियों, मेलों, विभिन्न उत्सवों, काॅलेजों एवं अन्य जगहों पर आना-जाना शुरू करते हैं, उनमें बहुत सारी अच्छी-बुरी आदतें आने लगती हैं और तब उनमें माता-पिता के संस्कार आनुपातिक रूप से घटने लगते हैं.
जब हमारे बच्चे अखबारों, इंटरनेट, टीवी चैनलों, सोशल मीडिया आदि के संपर्क में आते हैं तब खासकर टीनएजर्स अपने हार्मोनिक डेवलपमेंट के कारण उन बातों या दृश्यों की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं.
जिन विषयों पर हम या तो बातें करना मुनासिब नहीं समझते या फिर संकोच के कारण उनकी बौद्धिकता को वैज्ञानिक तरीके से ऊंचाई तक नहीं ले जा पाते हैं . कभी-कभी हम पहल करने में बहुत देर कर चुके होते हैं. हमारी तमाम गतिविधियों को हमारे बच्चे रीड ही नहीं अनुसरण भी करते हैं.
उन्होंने अपील के मुद्रा में बच्चों से भी कहा कि कृपया, पारस्परिक प्रेम, भाईचारे, परोपकार, सहयोग, सहिष्णुता आदि को अपने व्यवहारों में शामिल करें. उन्होंने पुन: जोर देकर कहा कि कृपया, टीन एजर्स बच्चों से विभिन्न मुद्दों पर खुलकर बातें करें और उनमें वैज्ञानिक एवं सामाजिक सोच पैदा करें.
उनका नैतिक उन्नयन करें, उन्हें अच्छी पुस्तकें पढ़ने को दें,सत्संगति दें,अच्छा माहौल दें. श्री कुमार ने गार्जियन को सचेष्ट करते हुए कहा कि आपकी अतिव्यस्तता व लापरवाही से आपका ही नहीं, पूरे मानव-समाज और देश का भी नुकसान होगा. इस मौके पर वाम विचारक सुशील कुमार, डॉ समुद आलम आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये.
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