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प्रशासन लापरवाह. नियमों की अनदेखी कर बेचा जा रहा है जार का पानी शहर में गरमी के कारण पेयजल की भारी किल्लत हो गयी है. इसी बीच लोगों को जार में बंद ऐसा पानी बेचा जा रहा है जो मानक के अनुरूप नहीं है. इसके िलए जगह-जगह समरसेबुल लगा कर पानी निकाला जा रहा है. […]

प्रशासन लापरवाह. नियमों की अनदेखी कर बेचा जा रहा है जार का पानी

शहर में गरमी के कारण पेयजल की भारी किल्लत हो गयी है. इसी बीच लोगों को जार में बंद ऐसा पानी बेचा जा रहा है जो मानक के अनुरूप नहीं है. इसके िलए जगह-जगह समरसेबुल लगा कर पानी निकाला जा रहा है.
बांका : शहर में बढ़ती गरमी के बीच डिब्बा बंद पानी का चलन बढ़ा है. घर-घर लोग डिब्बा बंद पानी पी रहे हैं. प्रतिदिन मिनरल पानी बेचने वाले विक्रेता की चांदी कट रही है. शहर में चारों ओर कुछ को छोड़ कर करीब डेढ़ दर्जन से अधिक मिनी प्लांट लगाकर पानी बनाने वाली फैक्टरियां नगर परिषद के बिना एनओसी के ही चला रही है, जो पानी शुद्धता के मानकों पर खरा नही है. लेकिन शहर में प्रतिदिन सैकड़ों पानी का जार सभी नियमों का धज्जियां उड़ाकर खुलेआम बिक रहा है. इनके ऊपर आज तक नगर प्रशासन व जिला प्रशासन की नजर नहीं गयी है और न ही इस ओर कोई संज्ञान लिया जा रहा है.
वहीं शहरी क्षेत्र में भूजल पर नगर प्रशासन के बिना अनुमति या एनओसी के पानी का दोहन हो रहा है. कई जगहों पर पानी विक्रेता, होटल व गैरज संचालक समरसेबल पंप का खुलेआम इस्तेमाल कर रहे हैं. जबकि नगर विकास व आवास विभाग की ओर से नगर प्रशासन को इस मामले में आवश्यक निर्देश भी प्राप्त है. बावजूद शहर में बढ़ रहे जल संकट को लेकर नगर प्रशासन के द्वारा इन अवैध पानी फैक्टरी पर कोई शिकंजा नहीं कसा जा रहा है.
प्यूरीफाइ की प्रक्रिया में 40 प्रतिशत पानी बरबाद
शहर में चारों ओर पानी की मिनी फैक्टरी के संचालकों ने अपने घरों व बाहरी परिसर में बड़ा समरसेबल पंप भी लगा रखा है. जहां पानी निकालकर बड़े वाटर प्यूरीफायर मशीन से पानी में से हानिकारक तत्व को निकालते हैं. प्यूरीफाइ की प्रक्रिया में करीब 40 प्रतिशत पानी बरबाद होता है. जिसे नाली में बहा दिया जाता है. जबकि उस वेस्ट पानी को वापस जमीन में डाला जाये तो वाटर लेवल बना रहेगा. लेकिन शहर में ऐसा नहीं हो रहा है.
इसके बाद प्यूरीफाइ वाटर को प्लस्टिक के बीस लीटर वाले जार में भर कर छोटे-छोटे ठेला व पिकअप के माध्यम से गली-मोहल्ले व व्यावसायिक मंडी में सप्लाई की जाती है. एक लीटर जार की कीमत अभी बाजार में 30 से 40 रूपये के बीच ली जा रही है. जिन इलाके में यह फैक्टरी चल रही होती है. वहां आस-पास के करीब पांच सौ मीटर के रेडियस में भूजल का स्तर काफी नीचे चला जा रहा है और आस-पास के इलाकों में भीषण जल संकट की स्थिति पैदा होती जा रही है. अगर आलम यही रहा तो लोगों के घरों में लगे बोरिंग एक दिन जवाब दे देंगे.
गैरेज में भी हो रही है पानी की बरबादी
एक ओर जहां शहर में जल संकट गहराता जा रहा है. वहीं दूसरी ओर रोज हजारों लीटर पानी गाड़ी धुलाई आदि कार्य में भी बरबाद हो रहा है. केवल शहरी क्षेत्र के अंदर ही दर्जनों गाड़ी धुलाई सेंटर चल रहे हैं. जहां रोज हजारों लीटर पानी गाड़ी धुलाई के बाद नाले में बहकर बरबाद हो रही है. इनमें से कई सेंटर भी बिना नगर प्रशासन के अनुमति के ही चल रहा है. मोटर गैरेज कारोबारी खुद के बोरिंग से पानी का कारोबार कर रहे है और शहरी क्षेत्र में गाड़ी धुलाई के नाम पर रोज पानी को बरबाद किया जा रहा है. शहर के इन क्षेत्रों में भी शहरवासी को पानी की किल्लत हो रही है. जबकि बेकार पानी को जल संचय किया जाना जरूरी है, जो शहर में कहीं नहीं हो रहा है.
क्या कहते हैं अधिकारी
पानी के कारोबारी के द्वारा कोई ट्रेड लाइसेंस नहीं ली गयी है. पानी की शुद्धता की जांच पीएचइडी विभाग का मामला है.
बीके तरूण, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत, बांका
शहर में बिक रहा पानी शुद्ध है या अशुद्ध यह जांच का विषय है. पानी जांच करने का आलाधिकारी से कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है.
मनोज कुमार चौधरी, कार्यपालक पदाधिकारी, पीएचइडी विभाग, बांका

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