अब पीएफएमएस वेब पोर्टल के जरिये होंगे सभी तरह के छोटे- बड़े भुगतान
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वेब पोर्टल के जरिये भुगतान
अब पीएफएमएस वेब पोर्टल के जरिये होंगे सभी तरह के छोटे- बड़े भुगतान पूरी तरह नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के अधीन एवं नियंत्रण में होगी प्रणाली ऑटो मोशन सिस्टम के जरिये जेनरेटेड एडवाइस पर बैंक करेंगे खातों में भुगतान बांका : केंद्रीय योजनाओं से जुड़ी भुगतान की प्रक्रिया कंप्यूटर आधारित लोक वित्त प्रबंधन प्रणाली से […]
पूरी तरह नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के अधीन एवं नियंत्रण में होगी प्रणाली
ऑटो मोशन सिस्टम के जरिये जेनरेटेड एडवाइस पर बैंक करेंगे खातों में भुगतान
बांका : केंद्रीय योजनाओं से जुड़ी भुगतान की प्रक्रिया कंप्यूटर आधारित लोक वित्त प्रबंधन प्रणाली से जोड़ी जा रही है. इस प्रणाली में छोटा से लेकर बड़ा भुगतान तक पीएफएमएस वेब पोर्टल के जरिये होगा. इससे भुगतान में पारदर्शिता रहेगी एवं किसी भी तरह की वित्तीय गड़बड़ी की आशंका न्यूनतम रह जायेगी. इस प्रणाली के क्रियान्वयन को लेकर विभिन्न सरकारी विभागों में लेखा अद्यतीकरण एवं प्रशिक्षण का काम जोरों पर है.
15 फरवरी तक संपूर्ण वित्तीय हिसाब- किताब एवं लेखा पुस्तकों के अद्यतीकरण के बाद 16 फरवरी से वित्तीय भुगतान की इस प्रणाली को शत प्रतिशत लागू कर दिया जायेगा. यह प्रणाली देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के निर्णयानुसार लागू की जा रही है. जिस वेब पोर्टल पर इस प्रणाली का संचालन होना है वह पूरी तरह कैग के अधीन और निगरानी में होगा.
पूरी तरह स्वचालित होगी भुगतान प्रणाली: यह एक स्वचालित भुगतान प्रणाली है जो ऑटो मोशन सिस्टम पर काम करेगा. इसके अंतर्गत बैंक को सीधे इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में पेमेंट एडवाइस जेनरेट हो जायेगा. बैंक का काम इस तरह आसान हो जायेगा कि वे सीधे एडवाइस को सत्यापित कर लाभार्थी के खाते में राशि अंतरित कर देंगे. केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित सभी योजनाओं के लाभार्थी, वेंडर एवं कर्मचारी आदि अब इसी प्रक्रिया के तहत भुगतान प्राप्त कर सकेंगे.
प्रणाली की कई खामियों पर भी उठ रहे सवाल : इस प्रणाली के मुकम्मल लागू हो जाने पर भुगतान के दरम्यान बिचौलिया राज और वित्तीय गड़बड़ी की आशंका निश्चित रूप से न्यूनतम हो जायेगी. लेकिन इस प्रणाली की कई खामियां भी सामने आयीं हैं जिससे प्रारंभिक तौर पर इसकी व्यावहारिकता को लेकर अनेक सवाल भी उठाये जा रहे हैं.
मसलन, यूजर्स में कंप्यूटर की प्राथमिक समझ का अभाव, जरूरी नहीं कि सभी लाभार्थियों के खाते होंगे ही, बैंकों के पास संसाधनों को अभाव, वित्तीय संव्यवहार आदर्श नहीं तथा इंटरनेट की कनेक्टिविटी का अभाव आदि कुछ ऐसे व्ववहारिक पहलू हैं जो इस प्रणाली की व्यावहारिकता को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं.
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