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अक्सर बंद रहता है कझपा का अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर के रूप में स्थापित किये जाने के बाद भी नहीं मिल रही सुविधा

हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर के रूप में स्थापित किये जाने के बाद भी नहीं मिल रही सुविधा

अंबा. कुटुंबा प्रखंड अंतर्गत कझपा का अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अक्सर चर्चा में रहता है. अस्पताल में न तो डॉक्टर होते हैं और न ही स्वास्थ्य कर्मी. ऐसी स्थिति में अधिकतर यह अस्पताल बंद ही पाया जाता है. ऐसे तो सरकार द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कझपा को हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर के रूप में विकसित का संसाधन भी बढ़ाये गये हैं, परंतु चिकित्सा एवं स्वास्थ्य कर्मियों को नहीं रहने के कारण मरीज को इलाज के लिए निजी क्लीनिक का ही सहारा लेना पड़ता है या फिर उन्हें 10 किलोमीटर दूर रेफरल अस्पताल कुटुंबा जाना पड़ता है. शनिवार को रोगी कल्याण समिति के सदस्य सह जदयू के जिला महासचिव रामाकांत सिंह ने अस्पताल का निरीक्षण किया. उन्होंने बताया कि निरीक्षण के दौरान अस्पताल पूरी तरह बंद था. न तो वहां कोई डॉक्टर थे और नहीं कर्मी. रोगी कल्याण समिति के सदस्य के अनुसार ग्रामीणों से पूछे जाने पर उनके द्वारा बताया कि अस्पताल में डॉक्टर एवं अन्य कर्मी कब आते हैं और कब चले जाते हैं ग्रामीणों को इसकी भनक तक नहीं होती है. छोटी-छोटी बीमारियों की इलाज के लिए भी उन्हें निजी क्लीनिक में जाना पड़ता है. जहां मोटी रकम खर्च होते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि कई लोग तो पैसे के अभाव में छोटी-छोटी बीमारी का भी इलाज नहीं कर पाते हैं ऐसे में धीरे-धीरे बीमारी बढ़ जाने के कारण अधिक कठिनाई होती है. श्री सिंह ने बताया कि अस्पताल बंद रहने की जानकारी विभाग के अधिकारियों को दी गई है. उन्होंने बताया कि इसके लिए वह लिखित रूप से भी शिकायत करेंगे. हेल्थ मैनेजर दीपक कुमार से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो वे मोबाइल रिसीव नहीं कर सके. पूर्व में ग्रामीणों द्वारा हेल्थ मैनेजर पर भी आरोप लगाया गया था.

एएनएम एवं लिपिक का काटा गया है वेतन

प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ नवल किशोर सिंह ने बताया कि रेफरल अस्पताल कुटुंबा में चिकित्सकों की कमी होने के कारण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कझपा में पदस्थापित चिकित्सक डॉक्टर शुभम कुमार की सेवा कुटुंबा में ली जाती है. कझपा में डॉ शुभम के अलावा तीन एएनएम व एक लिपिक पदस्थापित है. पिछले बार निरीक्षण के दौरान पाये जाने पर उनके 15 दोनों का वेतन की कटौती की गयी है. इसके बाद भी उनके कार्यशैली में सुधार नहीं हो रही है. अस्पताल बंद रहने की शिकायत आते रहती है. ऐसी स्थिति में कर्मियों से स्पष्टीकरण पूछते हुए कार्रवाई के लिए विभाग को लिखा जायेगा.

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