दाउदनगर. पर्यटन विभाग ने औरंगाबाद जिले के जिन पांच ऐतिहासिक स्थानों को अपने वेबसाइट पर शामिल किया है, उसमें दाउदनगर का दाउद खां का किला भी शामिल है. किले के पर्यटन स्थल में शामिल होने के बाद अब इसके सौंदर्यीकरण की उम्मीद बढ़ गयी है. सूत्रों से पता चला कि पांच ऐतिहासिक धरोहरों के विकास को लेकर योजना तैयार कर जिला प्रशासन ने पर्यटन विभाग को भेजा गया है. ऐसी उम्मीद जतायी जा रही है कि बिहार सरकार द्वारा दाउद खां के किला का जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण कराते हुए इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कराया जायेगा. गौरतलब है कि दाउद खां के किला का निर्माण 17वीं शताब्दी में हुआ था. इस किले के संरक्षण व सौंदर्यीकरण कार्य कराये जाने का मामला विधायक ऋषि कुमार द्वारा विधानसभा में भी उठाया जा चुका है. सरकार के मंत्री के जवाब में कहा गया था कि 13वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित राशि से चहारदीवारी, पथवे, शौचालय, छायादार बैठका, सुरक्षा प्रहरी कक्ष आदि का निर्माण कराया कराया गया था. चहारदीवारी का आंशिक कार्य स्थानीय स्तर पर अतिक्रमण होने के कारण लंबित है. इस संदर्भ में विभागीय पत्र द्वारा अतिक्रमण मुक्त कराने का अनुरोध डीएम से किया गया है. वहीं, दूसरी ओर स्थिति यह है कि न तो आज तक अतिक्रमण चिह्नित हो सका और न अतिक्रमण हट सका.इतना जरूर हुआ कि पदाधिकारियों का अतिक्रमण चिह्नित करने के लिए आना-जाना लगा रहा.देख- रेख के अभाव में अधिकांश कार्य ध्वस्त या क्षतिग्रस्त हो चुका है.
सौंदर्यीकरण कार्य को भी पहुंच रहा नुकसान
इधर, सौंदर्यीकरण का कार्य अधूरा होने एवं चहारदीवारी नहीं होने के कारण पूर्व में हुए सौंदर्यीकरण कार्य को भी नुकसान पहुंचा है. लोहे के ग्रिल को तोड़कर किला परिसर में कूड़ा फेंका जाता है. यहां तक कि पौधों के लिये बनाये गये गेवियन अब ध्वस्त हो चुके हैं. जबकि इसी परिसर में ढाई सौ पौधे भी समाजसेवियों ने लगाये थे. उन पौधों का नामोनिशान नहीं है. प्रकाश की व्यवस्था के नौ पोल लगा दिये गये हैं, लेकिन लाइटें कभी जलती नहीं और कई पोल अब दिखते ही नहीं. शाम होते ही किला परिसर अंधेरे में तब्दील हो जाता है.हांलाकि, अब नगर पर्षद द्वारा हाई मास्ट लाइट लगा दिया गया है, जिसका उद्घाटन होना बाकी है. कई जगहों पर लोगों को बैठने एवं आराम करने के लिये चबूतरा बनाया गया है. वह भी टूटने लगा है. किला परिसर के अंदर पीसीसी रोड बनवाया गया. शौचालय कमरा व शेड का निर्माण कराया गया ,लेकिन देख-रेख के अभाव में स्थिति खराब होती जा रही है. किला परिसर में सुबह और शाम घूमने के लिए काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं. अभी भी जब कोई बाहर से दाउदनगर पहुंचते हैं तो यहां के ऐतिहासिक धरोहर किला परिसर में जरुर पहुंचते हैं. इस ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहर को यदि विकसित किया जाए तो औरंगाबाद जिले के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में इसे विकसित किया जा सकता है.17 वी शताब्दी में हुआ था किला का निर्माण
ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार 17 वीं शताब्दी में दाउद खां ने किला का निर्माण कराया था. 1663 में यहां किला का निर्माण शुरू कराया गया, जो 10 साल बाद तैयार हो गया. दाउद खां औरंगजेब के सिपहसालार थे. वे 1659 से 1664 तक बिहार के सूबेदार थे. इस ऐतिहासिक किले को स्थापत्य कला का बेहतरीन नमूना माना जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है