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दाउदनगर अनुमंडल अस्पताल में पोस्टमार्टम हाउस की दरकार

हसपुरा व गोव प्रखंड के सुदूर इलाके से शव ले जाने में होती है भारी परेशानी

हसपुरा व गोव प्रखंड के सुदूर इलाके से शव ले जाने में होती है भारी परेशानी

दाउदनगर. किसी भी हादसे में मौत होने पर शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए परिजनों को औरंगाबाद जाना पड़ता है. वहां पोस्टमार्टम हाउस में जांच की जाती है. लंबी दूरी तय करने और पोस्टमार्टम प्रक्रिया में समय लगने के कारण लोगों का काफी समय बर्बाद हो जाता है. ऐसी स्थिति में अनुमंडल अस्पताल दाउदनगर में पोस्टमार्टम हाउस की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अप्रैल 2023 में ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी सिविल सर्जनों को पत्र लिखकर अनुमंडल अस्पतालों में पोस्टमार्टम हाउस की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया था. इसके बावजूद दाउदनगर में अब तक इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हो सकी है. जबकि, कई अनुमंडल अस्पतालों में पोस्टमार्टम हाउस की सुविधा उपलब्ध करा दी गयी है.

60 से 80 किलोमीटर तक करनी पड़ती है दूरी

दाउदनगर अनुमंडल के सुदूरवर्ती इलाकों से शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए जिला मुख्यालय तक लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. दाउदनगर अनुमंडल मुख्यालय से औरंगाबाद जिला मुख्यालय की दूरी लगभग 32 किलोमीटर से अधिक है. वहीं, हसपुरा और गोह जैसे प्रखंडों से यह दूरी 60 से 80 किलोमीटर तक हो जाती है. दाउदनगर अनुमंडल में दाउदनगर, ओबरा, गोह, हसपुरा, खुदवां, देवकुंड, बंदेया और उपहारा थाना क्षेत्र शामिल हैं. इन थाना क्षेत्रों के सुदूर गांवों से शव को जिला मुख्यालय ले जाना परिजनों के लिए बड़ी चुनौती बन जाता है. पोस्टमार्टम कराने में पूरा दिन लग जाता है. साथ ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने में देरी होने से आगे की कानूनी प्रक्रिया भी प्रभावित होती है.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने में होगी सहूलियत

समय पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिलने की शिकायतें अक्सर सामने आती रहती हैं. सूत्रों के अनुसार यदि अनुमंडल स्तर पर पोस्टमार्टम हाउस की व्यवस्था हो जाती है, तो रिपोर्ट लंबित रहने की संभावना काफी कम हो जायेगी. इससे पुलिस को समय पर चार्जशीट दाखिल करने में सुविधा होगी. सड़क दुर्घटनाओं में मृतकों के आश्रितों को मुआवजा दिलाने में भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट अनिवार्य होती है. रिपोर्ट में देरी के कारण मुआवजा प्रक्रिया भी लटक जाती है. इसके अलावा कई मामलों के अनुसंधान में पोस्टमार्टम रिपोर्ट अहम भूमिका निभाती है, लेकिन विलंब के कारण अनुसंधान प्रभावित होने की आशंका बनी रहती है. वर्तमान में केवल सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम होने से वहां रिपोर्ट तैयार करने और पुलिस को उपलब्ध कराने में भी देरी होती है.

चिकित्सकों की कमी दूर करना जरूरी

हालांकि, अनुमंडल अस्पताल दाउदनगर में चिकित्सकों की भारी कमी है. यहां 32 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में मात्र सात चिकित्सक ही पदस्थापित हैं. ऐसे में पोस्टमार्टम हाउस खोलने से पहले चिकित्सकों की कमी को दूर करना आवश्यक होगा. सूत्रों के अनुसार सरकार पोस्टमार्टम के लिए आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराती है, लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सक, प्रशिक्षित कर्मी और आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था करना जरूरी है. इसके साथ ही पोस्टमार्टम हाउस के लिए अलग से कर्मियों की तैनाती भी करनी होगी.

शव वाहन नहीं होने से बढ़ती परेशानी

सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन अनुमंडल स्तर पर शव वाहन की सुविधा नहीं होने से लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. सूत्रों के अनुसार जिला स्तर पर मात्र एक शव वाहन उपलब्ध है. किसी भी क्षेत्र में हादसे में मौत होने पर शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने के लिए परिजनों को निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ता है. ऐसे में जब तक अनुमंडल स्तर पर पोस्टमार्टम हाउस की व्यवस्था नहीं हो पाती, तब तक कम से कम शव वाहन की सुविधा उपलब्ध कराना जरूरी है. अनुमंडल अस्पताल से जुड़े सूत्रों का कहना है कि दाउदनगर अनुमंडल के लिए कम से कम एक शव वाहन की व्यवस्था अत्यंत आवश्यक हो गई है.

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