अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार पर गये अधिवक्ता
औरंगाबाद (नगर) : व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता धनंजय कुमार को नगर थाने की पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर जेल भेज दिये जाने के विरोध में मंगलवार से शुरू हुआ व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ताओं ने न्यायालय का कार्य बहिष्कार बुधवार को भी जारी रहा.
इस दौरान अधिवक्ताओं की एक बैठक जिला विधि संघ के अध्यक्ष राजकि शोर शर्मा की अध्यक्षता में सेंट्रल हॉल में आयोजित की गयी. बैठक के दौरान निर्णय लिया गया कि जब तक मांगें पूरी नहीं होगी, तब तक न्यायालय कार्य से अधिवक्ता अलग रहेंगे.
वक्ताओं ने न्यायालय द्वारा अधिवक्ताओं को उपेक्षित करने का आरोप लगाया. कहा कि, इसी का परिणाम है कि नगर थाने की पुलिस ने अधिवक्ता धनंजय कुमार को गिरफ्तार कर कोर्ट लाया गया तो उन्हें जेल भेज दिया गया, जबकि पेशकार उमेश कुमार सिंह को जमानत दिया गया.
अधिवक्ता ने भी न्यायालय में जमानत के लिए अर्जी दाखिल की थी, लेकिन न्यायालय द्वारा थाने से डायरी की मांग की. डायरी मांगने के बाद भी केस के अनुसंधानकर्ता द्वारा न्यायालय में डायरी नहीं भेजी गयी, बल्कि वारंट निर्गत कर अधिवक्ता को साजिश के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
वक्ताओं ने कहा कि जबकि सीआरपीसी का नियम है कि कोर्ट में मामले चले जाने के बाद अनुसंधानकर्ता को डायरी समय पर उपलब्ध कराना होता है. लेकिन ऐसा नहीं किया गया. यही नहीं जब न्यायालय के आदेश को अनुसंधानकर्ता ने नहीं माना तो उसके ऊपर भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी.
पुलिस व अदालतों का रवैये अधिवक्ताओं के प्रति नहीं बदला तो आंदोलन आगे भी जारी रहेगा. कार्य बहिष्कार किये जाने से संबंधित सूचना जिला विधि संघ द्वारा बार काउंसिल को भेज दी है.
अधिवक्ता मुकेश कुमार सिंह, दुदुन सिंह, नृपेश्वर सिंह, रामप्रवेश मेहता, मोहम्मद इरशाद, धर्मराज शर्मा, मनोज मिश्र, गया नाथ सिंह, राजीव कुमार सिंह उर्फ जुगनू, प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि जब तक पुलिस अपनी रवैया नहीं बदलेगी व दोषी अनुसंधान के ऊपर कार्रवाई नहीं की गयी तो हमलोग न्यायालय कार्य से अलग रहेंगे. इधर, अधिवक्ताओं द्वारा दूसरे दिन भी न्यायिक कार्य के बहिष्कार किये जाने के बाद न्यायालय में काम नहीं हो सका.
इसके कारण पूरे दिन सन्नाटा पसरा रहा. अधिवक्ताओं का यह भी कहना है कि पुलिस हमेशा समय पर डायरी, चाजर्शीट न्यायालय में नहीं भेजती है. इससे मुवक्किल को परेशानी का सामना करना पड़ता है.