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सरकारी अधिकारियों के भ्रष्ट कार्यों की पोल खोलना बनाया मकसद

सरकारी अधिकारियों के भ्रष्ट कार्यों की पोल खोलना बनाया मकसद आरटीआइ को बनाया अपना हथियारचुनौती की राह पर चल पड़े त्रिपुरारी को कई बार मिली धमकी भी अब तक सरकारी विभागों के लगभग डेढ सौ मामलों पर आरटीआइ के तहत मांगी है सूचनात्रिपुरारी के लगभग 75 मामलों पर प्रशासन ने लिया है संज्ञान, 20 मामलों […]

सरकारी अधिकारियों के भ्रष्ट कार्यों की पोल खोलना बनाया मकसद आरटीआइ को बनाया अपना हथियारचुनौती की राह पर चल पड़े त्रिपुरारी को कई बार मिली धमकी भी अब तक सरकारी विभागों के लगभग डेढ सौ मामलों पर आरटीआइ के तहत मांगी है सूचनात्रिपुरारी के लगभग 75 मामलों पर प्रशासन ने लिया है संज्ञान, 20 मामलों में सुनवाई भी(फोटो नंबर-9)कैप्शन- त्रिपुरारी पांडेय औरंगाबाद (सदर) वो पथ क्या पथिक कुशलता क्या, जिस पथ में बिखरे शुल न हो, नाविक की धैर्य कुशलता क्या, जब धाराएं प्रतिकूल न हो. जीवन में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें कुछ अलग करने की चाहत एक अलग पहचान देती हैै. भले ही उनके काम के राह में लाख बाधाएं क्यों न हो. उन्हें ऐसी ही राहों पर चलने में मजा आता है. ऐसा ही एक व्यक्ति हैं जो भ्रष्टाचार को खत्म करने का शपथ लेकर चुनौती की राह पर निकल पड़े हैं. त्रिपुरारी पांडेय एक साधारण आदमी हैं, जिसने यह ठाना है कि जिले के सरकारी भ्रष्ट अधिकारियों की पोल खोलना है. भ्रष्टाचार के विरोध में एक लड़ाई लड़नी है और इस लड़ाई को ही अपना मकसद बनाना है. त्रिपुरारी ने भ्रष्टाचार से लड़ाई लड़ने के लिए आरटीआइ को अपना हथियार बनाया है. सूचना के अधिकार को शस्त्र की तरह इस्तेमाल कर त्रिपुरारी भ्रष्ट अधिकारियों को चुनौती दे रहे हैं. आरटीआइ कार्यकर्ता के रूप में अपनी पहचान बनानेवाले त्रिपुरारी का नाम जैसी ही सरकारी कार्यालयों में पहुंचता है, कर्मचारी व अधिकारी थथम जाते हैं. गौरतलब है कि त्रिपुरारी पांडेय औरंगाबाद जिले के गोह प्रखंड के निवासी हैं. त्रिपुरारी पांडेय ने बताया कि 2008 से उन्होंने आरटीआइ से सूचना मांगने का काम प्रारंभ किया था. ये बताते हैं कि इनके जमीन के मामले का कोई हल नहीं निकल रहा था. तब इन्हें किसी ने आरटीआइ के बारे में जानकारी दी थी. मदद व न्याय मांगते-मांगते थक हार जाने के बाद आरटीआइ ही त्रिपुरारी को एक रास्ता सूझा, फिर उन्होंने अंचलाधिकारी के खिलाफ अपने जमीन संबंधित मामले को लेकर आरटीआइ के तहत सूचना मांगी. इसके बाद अंचलाधिकारी व दाउदनगर के भूमि सुधार उपसमाहर्ता को 25-25 हजार रुपये का जुर्माना भी देना पड़ा. इस काम से त्रिपुरारी को अपना हक भी मिला और एक नया रास्ता भी. फिर क्या था, त्रिपुरारी आरटीआइ के हथियार से विभिन्न सरकारी विभागों के लगभग डेढ सौ मामलों पर आरटीआइ के तहत सूचना मांगी. इसमें बहुत सारे भ्रष्ट अधिकारी का नाम भी सामने आये. त्रिपुरारी द्वारा मांगे गयी सूचना में लगभग 75 मामलों पर प्रशासन ने संज्ञान लिया है और 20 मामलों पर सुनवाई भी हुई है. इस काम में त्रिपुरारी को कई बार धमकी भी मिली, पर ये अपने काम से नहीं डिगे. बल्कि त्रिपुरारी कहते हैं कि अब तो इस काम में मजा आनेलगा है. लोगों को मदद करने का और भ्रष्ट अधिकारियों के कार्यों को उजागर करने का आरटीआइ अच्छा माध्यम बन गया है. त्रिपुरारी आरटीआइ जागरूकता अभियान भी समय-समय पर आयोजित करते हैं.

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