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चल्हिकी बिगहा में औषधीय व सब्जी की खेती को देख अन्य किसानों में भी उत्सुकता बढ़ी

चिल्हकी बिगहा में औषधीय व सब्जी की खेती को देख अन्य किसानों में भी उत्सुकता बढ़ीपरसबीन, स्ट्राबेरी व फूलगोभी से खेत हरा भरा स्ट्रॉबरी व परसबीन की खेती में कृषि विभाग से किसानों को मिल रहा लाभ (फोटो ंनबर-20)परिचय- परसबीन की खेती अंबा (औरंगाबाद) प्रखंड का चिल्हकी बिगहा गांव में हो रही औषधीय व सब्जी […]

चिल्हकी बिगहा में औषधीय व सब्जी की खेती को देख अन्य किसानों में भी उत्सुकता बढ़ीपरसबीन, स्ट्राबेरी व फूलगोभी से खेत हरा भरा स्ट्रॉबरी व परसबीन की खेती में कृषि विभाग से किसानों को मिल रहा लाभ (फोटो ंनबर-20)परिचय- परसबीन की खेती अंबा (औरंगाबाद) प्रखंड का चिल्हकी बिगहा गांव में हो रही औषधीय व सब्जी की खेती को देख अन्य किसानों में भी उत्सुकता बढ़ा रही है. अपने परंपरागत खेती धान व गेहूं से अलग हट कर अब यहां के किसान नयी तरह की खेती में जुट गये हैं. गांव के समीप पहुंचते ही तरह-तरह की खेती देखने को मिलती है. कहीं स्ट्रॉबरी, कहीं परसबीन, कहीं गोल्डी तो कहीं फूलगोभी की खेती देखने को मिल रही है. इसके अतिरिक्त पतागोभी, मूली, बैगन, लहसुन व अन्य तरह की फसल लहलहा रही है. गांव के किसान बृजकिशोर ने पिछले वर्ष स्ट्रॉबरी व हैदराबाद खीरा की खेती कर जिले का नाम रोशन किया था. इस बार गांव के रघुपत मेहता भी इसकी खेती शुरू की है. पुणे के महाबलेश्वर से पौधा लाकर उन्होंने बड़े पैमाने पर इस फसल को लगाया है. इसके लिए प्रशिक्षित मजदूरों का सहारा ले रहे हैं. इधर, बृजकिशोर ने स्ट्रॉबरी के साथ-साथ इस वर्ष परसबीन की खेती शुरू की है. कृषि विभाग से भी इन्हें लाभ मिल रहा है. उद्यान विभाग से गांव के कई पॉली हाउस लगाया गया है.आठ कट्ठा में की है परसबीन की खेतीविभाग द्वारा लगाये गये पॉली हाउस में हजार वर्ग फुट लगभग आठ कट्ठा भूमि में परसबीन लगाया गया है. बृजकिशोर ने बताया कि इसका बीज झारखंड के हरिहरगंज बाजार से 1500 रुपये का मंगाया है. सिंचाई के लिए पॉली हाउस में स्प्रिकंलर की व्यवस्था की गयी है. उन्होंने बताया कि इस सब्जी को लगाते समय डीएपी खाद का इस्तेमाल किया गया है. बाद में इसमें यूरिया व पोटाश उर्वरक की आवश्यकता होती है. पर, उसकी मात्रा कम होती है. खेत की तैयारी में इसका खास ख्याल रखा जाता है,जिसमें क्यारी बनाना व फसल के किनारे में गैपिंग महत्वपूर्ण है,ताकि इसे तोड़ने अथवा इसके घास निकालने में पौधों को क्षति न पहुंचे. बृजकिशोर ने बताया कि परसबीन का बाजार में कीमत प्रति किलो 30 से 40 रुपये होता है. उन्होंने कहा कि आठ कट्ठे में प्रति सप्ताह एक क्विंटल फ्रेंचबीन निकलने लगेगा. सब्जी दो महीने बाद खत्म होने के बाद वे पॉली हाउस में चाइनिज खीरा लगायेंगे.विटामिन युक्त है परसबीनपरसबीन जिसे लोग फ्रेंचबीन भी कहते हैं. इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन पाया जाता है. इस सब्जी की खासियत है कि यह सालों भर मिलती है. खासकर शादी-विवाह के मौके पर इसकी खपत ज्यादा होती है. बड़े होटलों में भी डिश की शोभा फ्रेंचबीन सब्जी बढ़ाते आयी है. इससे भी अधिक महत्व इस सब्जी का इस कारण है कि ये लंबे समय तक के लिए रख रखाव में बेहतर है.दूसरे किसानों को लेनी चाहिए सीख जिला उद्यान पदाधिकारी डाॅ श्रीकांत ने बताया कि फ्रेंचबीन मूलत: विदेशी संस्करण माना जाता है. विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों में इस पर लगातार चर्चा की जाती रही है. उन्होंने कहा कि आप यह जान कर आश्चर्यचकित रहेंगे कि वर्तमान में हमें इस सब्जी को झारखंड राज्य से मंगाना पड़ता है. इसकी कीमत भी ज्यादा रहती है. बावजूद इसमें विटामिन की मात्रा अन्य सब्जियों के मुकाबले अधिक होती है. डाॅ श्रीकांत ने इस खेती करने वाले किसान के प्रति प्रसन्नता व्यक्त किया और कहा कि इससे दूसरे किसानों को भी सीख लेनी चाहिए. उन्होंने कृषि विभाग से किसानों को प्रोत्साहन व अन्य सुविधा दिये जाने की भी बात बतायी. बृजकिशोर व रघुपत के इस नये कदम का जिले के कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण माना जा रहा है.पेट के रोगी के लिए वरदान है परसबीनपरसबीन के संबंध में आयुष चिकित्सक डाॅ अनिल कुमार दूबे बताते है कि पेट के रोगियों के लिए यह सब्जी वरदान माना जाता है. रेशेदार होने की वजह से यह पाचन क्रिया गैस के रोगियों के लिए लाभकारी होता है. फाइवर की मात्रा भी इसमें है जिससे शारीरिक क्षमता का विकास होता है. लोग किसान के जज्बे को प्रभावकारी व हीतकारी बता रहे हैं.

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