औरंगाबाद (ग्रामीण)पवित्र सूर्य नगरी देव औरंगाबाद की पहचान है. यहां की सूर्य मंदिर की पहचान पूरे देश में है. लेकिन, देव को अपेक्षित महत्व नहीं मिल पाया और न ही विकास ही हो पाया. 1992 में जनसहयोग से देव महोत्सव की शुरुआत की गयी थी, जो लगातार 2000 तक चला. महोत्सव का मुख्य उद्देश्य था देव को महत्व दिलाना और औरंगाबाद जिले का नामकरण देव के नाम पर करना, लेकिन 2000 के बाद महोत्सव का सरकारीकरण होने से अब महोत्सव का उद्देश्य मात्र सांस्कृतिक कार्यक्रम तक सिमट गया है. ये बातें रविवार को देव विकास मंच की बैठक में संयोजक सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने कही. बैठक में देव के महत्व पर गंभीरता से चर्चा हुई. देव महोत्सव के फीके आयोजन पर सवालिया निशान खड़े किये गये और अंतत: निर्णय लिया गया कि औरंगाबाद जिले का नाम देव करने व देव के महत्व को देश-दुनिया तक पहुंचाने के उद्देश्य से महोत्सव का सही आयोजन किया जाये. इसके लिए जिलाधिकारी से मिला जाये और बिहार सरकार को प्रस्ताव भेजा जाये. मौके पर रामजी सिंह, धनंजय कुमार सिंह, यशवंत कुमार, कृष्णा यादव, किरण मेहता, संजय चौरसिया आदि शामिल थे.
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सांस्कृतिक कार्यक्रम तक ही सिमटा देव महोत्सव(फोटो नंबर-30)कैप्शन- देव विकास मंच की बैठक में उपस्थित कार्यकर्ता
औरंगाबाद (ग्रामीण)पवित्र सूर्य नगरी देव औरंगाबाद की पहचान है. यहां की सूर्य मंदिर की पहचान पूरे देश में है. लेकिन, देव को अपेक्षित महत्व नहीं मिल पाया और न ही विकास ही हो पाया. 1992 में जनसहयोग से देव महोत्सव की शुरुआत की गयी थी, जो लगातार 2000 तक चला. महोत्सव का मुख्य उद्देश्य था […]
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