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34 दिन बीते, नहीं शुरू हुई गेहूं खरीद

कहीं नहीं खुला क्रय केंद्र साहूकारों के हाथों पर गेहूं बेचने को किसान मजबूर सरकार ने प्रति क्विंटल 1840 रुपये समर्थन मूल्य किया है निर्धारित 40 समितियों को गेहूं खरीद के लिए कैश क्रेडिट की दी गयी है अनुमति औरंगाबाद : जिले में गेहूं अधिप्राप्ति का हाल बुरा है. एक अप्रैल से ही गेहूं खरीद […]

  • कहीं नहीं खुला क्रय केंद्र साहूकारों के हाथों पर गेहूं बेचने को किसान मजबूर
  • सरकार ने प्रति क्विंटल 1840 रुपये समर्थन मूल्य किया है निर्धारित
  • 40 समितियों को गेहूं खरीद के लिए कैश क्रेडिट की दी गयी है अनुमति
औरंगाबाद : जिले में गेहूं अधिप्राप्ति का हाल बुरा है. एक अप्रैल से ही गेहूं खरीद शुरू करने का लक्ष्य था. मगर, 34 दिन बीत जाने के बाद जिले में एक छटांक भी गेहूं की खरीद नहीं हुई. लिहाजा किसान औने-पौने दाम पर गेहूं बेचने को मजबूर हैं. सरकार ने समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद एसएफसी समितियों को हटाकर पैक्स के माध्यम से शुरू किया, लेकिन सरकार की योजना पूरी तरह फेल हो गयी.
पैक्सों ने अभी तक एक किलो गेहूं की खरीद भी नहीं कर पाया. इसकी जानकारी देते हुए को-ऑपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक धर्मनाथ प्रसाद ने कहा कि पैक्स को गेहूं खरीदने का आदेश दे दिया गया है. एक अप्रैल से 30 जून तक गेहूं की सरकारी खरीदारी करनी है. गेहूं का समर्थन मूल्य सरकार ने प्रति क्विंटल 1840 रुपये निर्धारित किया है.
इधर पैक्स अध्यक्षों ने नाम न छापने के शर्त पर बताया कि गेहूं खरीदने का आदेश तो मिला है, लेकिन राशि नहीं. इस स्थिति में कैसे किसानों का गेहूं खरीदा जाए. इधर, किसानों का कहना है कि सरकारी स्तर से गेहूं खरीद नहीं होने से काफी परेशानी हो रही है. मजबूरीवश बाजार में बेचना पड़ रहा है. बच्चों की शादी, पढ़ाई, बीमारी आदि के लिए पैसों की आवश्यकता होती है.
फसल ही हम किसानों का सहारा होता है. लेकिन सरकारी स्तर पर गेंहू खरीद की जा रही है. इधर, को-ऑपरेटिव के प्रबंध निदेशक ने बताया कि 40 समिति को गेहूं खरीदने के लिए कैश क्रेडिट की स्वीकृति दी गयी है. जल्द ही गेंहू की खरीदारी शुरू होगी.
लक्ष्य के अनुरूप भी नहीं हुई थी धान की खरीद: औरंगाबाद नगर. औरंगाबाद जिले में लक्ष्य के अनुरूप भी धान की खरीददारी नहीं हो सकी थी. एक लाख 51 हजार मिट्रिक टन धान की खरीददारी करने का लक्ष्य रखा गया था,लेकिन विलंब से क्रय केंद्र खुलने के कारण 81 हजार मिट्रिक टन धान की खरीददारी हो सकी थी.
यहीं नहीं जो किसान रजिस्ट्रेशन कराये थे उनमें से अधिकांश की धान की खरीददारी नहीं हो सकी. ऐसे में बिचौलिए हावी रहे थे. इस संबंध में सेंट्रल कोऑपरेटिव के प्रबंध निदेशक धर्मनाथ प्रसाद से संपर्क करने की कोशिश की गयी, पर संपर्क नहीं हो सका.

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