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Friday, March 29, 2024

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बिहार में यहां लगती है जिस्म की बोली, पढ़ी-लिखी और फर्राटेदार अंगरेजी बोलनेवाली लड़कियां धंधे में शामिल

अरवल : अगर आपको कोई कहे कि मुख्यालय में एक जगह ऐसी है, जहां खुलेआम लड़कियों के जिस्म की नीलामी की जाती है, तो आप सुन कर थोड़े अचंभित हो जायेंगे. जिला मुख्यालय के जनकपुर धाम के पास रेड लाईट एरिया में अपनी ऊंची शौक को पूरा करने के लिए बाहर से लड़कियां और महिलाएं […]

अरवल : अगर आपको कोई कहे कि मुख्यालय में एक जगह ऐसी है, जहां खुलेआम लड़कियों के जिस्म की नीलामी की जाती है, तो आप सुन कर थोड़े अचंभित हो जायेंगे. जिला मुख्यालय के जनकपुर धाम के पास रेड लाईट एरिया में अपनी ऊंची शौक को पूरा करने के लिए बाहर से लड़कियां और महिलाएं आकर अपने जिस्म का सौदा करती हैं. इसके लिए उनके 500 से 1000 रुपये तक के अलग-अलग रेट तय किये जाते हैं.

मोहल्लेवाले इनसे बना कर रखते हैं दूरी

इन महिलाओं और लड़कियों से मोहल्लों वाले घृणा करते हैं. अपने परिवार को इनसे दूर रखने का प्रयास करते हैं. ताकि, जिस्मफरोशी के धंधे से उनका परिवार दूर रहे. थिएटर कंपनी की आड़ में यह धंधा फल-फूल रहा है. इसके बावजूद इलाके की पुलिस अनजान बनी हुई है.

कुछ मजबूरी, तो कुछ शौक से हुईं शामिल

धंधे में लिप्त महिलाओं ने नाम नहीं छापने की शर्त पर यहां आने का कारण बेरोजगारी और पारिवारिक खर्चे बताया. एक महिला ने बताया कि यह काम मजबूरी में करना पड़ता है. क्योंकि, जहां वह नौकरी करने गयी, उसे बहुत कम पैसे मिल रहे थे. ऐसी महंगाई में उसके परिवार का खर्च नहीं चल पाता. इसीलिए धंधे में आना पड़ा. कुछ लड़कियों ने अपनी बढ़ रही रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ रुपयों के लालच में जिस्म का सौदा कर लेती हैं.

रात में खतरनाक अपराधियों का शरण स्थली है रेड लाईट एरिया

रेड लाईट एरिया रात में अपराधियों की शरणस्थली बन जाती है. रात में अपराधी एवं खतरनाक लोगों का यहां ठहराव भी होता है. साथ ही घटना को अंजाम देने की योजना भी तैयार की जाती है. सोन नदी के किनारे होने के कारण दूसरे जिलों के अपराधियों के छिपने के लिए भी यह शरणस्थली का काम करता है. दिन भर असामाजिक तत्वों की भीड़ इन क्षेत्रों में लगी रहती है.

धंधे में लिप्त हैं पढ़ी लिखी और फर्राटेदार अंगरेजी बोलनेवाली महिलाएं

जनकपुरधाम के रेड लाईट एरिया में रहनेवाली बाहर से अयी लड़कियां पढ़ी-लिखी भी हैं. कई लड़कियां तो फर्राटेदार अंगरेजी भी बोल लेती हैं. खासकर बंगाल असम और नेपाल से आयी लड़कियां जो अपने घर से यह कह कर आती हैं कि नौकरी कर रहे हैं. लेकिन, यहां पर रेड लाईट की थियेटर कंपनी में धंधा कर रही हैं, जो पढ़ी-लिखी हैं.

ग्राहकों के लिए व्हाट्सअप, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया बना वरदान

रेड लाईट एरिया में रहनेवाली कई लड़कियों के लिए फेसबुक, व्हाट्सअप जैसे सोशल मीडिया वरदान साबित हो रहे हैं. वे घर बैठे भी सोशल मीडिया के सहारे कई ग्राहकों को पटा लेती हैं. पहले फेसबुक, व्हाट्सअप पर चैटिंग, फिर मोबाइल पर बात करते-करते ग्राहक बना लेती हैं. सोशल मीडिया के जरिये अपने ग्राहकों को बुलाती हैं. सबसे ज्यादा उनकी बुकिंग फोन के जरिये ही होती है. इस काम को संचालित करने के लिए पुरुषों का भी योगदान रहता है.

पुलिस से बचने के लिए गली के बाहर खड़े रहते हैं इनके लोग

पुलिस से बचने के लिए यह लोग गली के बाहर एक अपना आदमी तैनात कर देती हैं. जैसे ही पुलिस आती दिखायी देती है. वह आदमी तुरंत फोन पर सूचना देकर सभी को सावधान कर देता है.

दलदल में जबरदस्ती फंसती हैं लड़कियां

बाहर से नृत्य करने के नाम पर आयी हुई लड़कियां कभी-कभी थिएटर कंपनी की संचालिका द्वारा जबरदस्ती इस धंधे में उतार दी जाती हैं.

किराये के मकान लेकर भी करती है धंधा

बाहर से भी आकर इस मोहल्ले में किराये का मकान लेकर भी कई लड़कियां देह-व्यापार का धंधा करती हैं. खासकर नेपाल, बंगाल, ओड़िशा और असम से आयी लड़कियां थियेटर कंपनी और आर्केस्ट्रा के नाम पर शादी-ब्याह के मौसम में बाहर से आकर किराये का मकान ले लेती हैं और फिर बुकिंग के नाम पर व्यापार करने लगती हैं.

प्रशासनिक कार्रवाई के बावजूद फल-फूल रहा धंधा

रेड लाईट एरिया में कई बार प्रशासनिक कार्रवाई भी हुई. कई लड़कियां पकड़ी गयी थीं लेकिन, इसके बावजूद यह धंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा है. यह दिन-प्रतिदिन फलने-फूलने के साथ आज भी बदस्तूर जारी है.

क्या कहते है अधिकारी

इस संबंध में पुलिस उपाधीक्षक शशिभूषण सिह ने कहा कि इधर कोई नया मामला नहीं आया है. पुलिस तो अक्सर छापेमारी करती है. चूंकि रेड लाईट एरिया में छापेमारी से पहले एसपी साहब से आदेश लेना पड़ता है. एसडीएम की मौजूदगी में छापेमारी होती है. इसके लिए पहले से तैयारी करनी पड़ती है. जल्द ही छापेमारी की जायेगी. जो भी लोग गोरखधंधे में पाये जायेंगे, उनके साथ कानून अपना काम करेगी.

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