भजन कीर्तन व महाभोग प्रसाद वितरण की है पुरानी प्रथा जोकीहाट. जोकीहाट प्रखंड क्षेत्र के दभड़ा पंचायत के बहारबाड़ी गांव स्थित काली पूजा का चार दिवसीय धार्मिक समारोह गुरुवार की शाम मूर्ति विसर्जन के साथ ही संपन्न हो गया. बुधवार की शाम उपस्थित श्रद्धालुओं के बीच महाभोग प्रसाद का वितरण किया गया. यहां की पूजा शरण परिवार से दशकों पुराना है. यहां 1890 के दशक में स्व शिवनंदन सहाय (मोख्तार) जो स्व रामेश्वर शरण उर्फ लल्लू बाबू (वकील) अररिया के पिता जी थे. उन्होंने ही इस परंपरा की शुरूआत की थी. वर्तमान में पूजा संपन्न कराने की जिम्मेदारी गणेश लाल मंडल व विपिन ठाकुर के पास है. दरअसल ब्रिटिश काल में बहारबाड़ी गांव में दो परिवार एक मुर्शिदाबाद बंगाल से था. जिसके स्थानीय कारकुन स्व चारू बाबू हुआ करते थे. ये परिवार गांव में दुर्गापूजा करवाते थे. सहाय-शरण परिवार काली पूजा करवाते थे. कालांतर में मुर्शिदाबाद का परिवार जमींदारी उन्मूलन के बाद गांव छोड़कर चले गये. दुर्गापूजा का भार भी ग्रामीणों ने उठा लिया. सहाय-शरण (लल्लू बाबू का परिवार) सपरिवार अपने देख-रेख व कारकुनों के माध्यम से इस दायित्व का निर्वाह करते रहे हैं. सन 1970 में लल्लू बाबू के अचानक निधन के बाद से शैलेन्द्र शरण जो लल्लू बाबू का सबसे छोटा लडका हैं तब से इस जिम्मेदारी को गाँव वालों को साथ लेकर निभा रहे हैं. यह ऐतिहासिक पूजा सवा सौ वर्षों से अधिक समय से हो रहा है। काली पूजा गाँव की आस्था से जुड़ी है.
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