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क्षतिग्रस्त पुल का निरीक्षण करने पहुंचे अधिकारी

दिल्ली व हैदराबाद से पहुंची टीम

सिकटी. प्रखंड क्षेत्र के बकरा नदी के पड़रिया घाट पर बने पुल के ध्वस्त होने के चौथे दिन दिल्ली व हैदराबाद से आइआरसी की टीम मामले की जांच के लिए पहुंची. जांच टीम के सदस्यों ने बताया कि ध्वस्त पुल की जांच के लिए एसआइटी मशीन दिल्ली से लाया जा रहा है. जो शनिवार को दरभंगा एयरपोर्ट पहुंचेगा. बाद में मशीन को बकरा नदी के पड़रिया घाट पर लाया जायेगा. उस मशीन से ध्वस्त पुल की जांच की जायेगी. इससे पता चल सकेगा कि पुल के पीलर की पाइलिंग कैसे की गयी थी. मटेरियल जितना लगना चाहिए था क्या उतना लगाया गया था या नहीं. जांच टीम के अधिकारियों ने नाव की मदद से नदी में बनाये गये पुल के विभिन्न पिलरों की जांच की. जांच टीम के अधिकारियों ने बताया कि ध्वस्त पुल के पिलर की पाइलिंग 40 मीटर नीचे से किया जाना था. जो 20 मीटर नीचे से किया गया. वहीं पूर्व में बिहार पुल निर्माण निगम से पहले 11 करोड़ के प्राक्कलन से बनाये जा रहे पुल में पिलर की पाइलिंग 40 मीटर नीचे से किया गया है. इसके बाद बकरा नदी ने अपना बहाव क्षेत्र बदल लिया. नदी पूरब दिशा की ओर चली गयी. इसके बाद से पुल निर्माण निगम द्वारा 12 करोड़ की लागत से चार पाया का निर्माण किया गया. इसमें भी पुल के पाया की पाइलिंग 40 मीटर अंदर से की गयी. वहीं जब बकरा नदी धारा बदल कर पुल से लगभग तीन सौ मीटर पश्चिम चला गया. तब आरइओ द्वारा 182 मीटर पुल का निर्माण कार्य लगभग आठ करोड़ की लागत से शुरू किया गया. तो इसमें पुल के पाया की पाइलिंग 20 मीटर अंदर से किये गया. इस कारण पुल ध्वस्त हो गया. इधर ग्रामीणों ने जांच कर रहे अधिकारियों को बताया कि घटिया सामग्री के इस्तेमाल के साथ पुल के पश्चिम से बह रही नदी की धारा को पुल के अंदर लाने के लिए चिरान किया गया था. साथ ही डीप करने के लिए रेलवे द्वारा मिट्टी काटकर ले जाया गया था. पुल के पश्चिमी भाग के आखिरी दो पीलरों के निकट मिट्टी कटाई भी पुल गिरने का कारण रहा होगा. मौके पर आरईओ के मुख्य अभियंता निर्मल कुमार, पुल सलाहकार बीके सिंह, अधीक्षण अभियंता सुधीर कुमार, परवेज आलम, राजीव रंजन कुमार, आरइओ विभाग के एसक्यूटीव आशुतोष कुमार सहित कई अधिकारी व ग्रामीण उपस्थित थे. कहते हैं क्वालिटी कंट्रोल अभियंता

बकरा नदी के पड़रिया नदी पर बना पुल ध्वस्त होने के कारणों की जानकारी देते हुए क्वालिटी कंट्रोल अभियंता मनोज कुमार झा ने बताया कि पुल ध्वस्त होने के कई कारण हैं. पुल के रेन फोर्समेंट की डिजाइन के हिसाब से काम नहीं किया जाना भी इसकी एक मुख्य वजह है. उन्होंने बताया कि पुल निर्माण में प्रयुक्त सामग्री का गुणवत्ताविहीन होने के साथ-साथ कम मेटेरियल का प्रयोग भी इसकी वजह है. उन्होंने कहा कि प्राक्कलन के मुताबिक अगर कोई संवेदक तीस प्रतिशत मेटेरियल की चोरी करता है तो तो भी पुल जल्दी ध्वस्त नहीं होगा. अगर 50 फीसदी से अधिक मेटेरियल की चोरी किये जाने पर ही पुल की मजबूती प्रभावित होगी. इससे इसके जल्द ध्वस्त होने का खतरा रहेगा.

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