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चचरी पर रेंग रहीं लाखों लोगों की जिंदगियां

चचरी पर रेंग रहीं लाखों लोगों की जिंदगियां

अररिया: जिले के करीब दो दर्जन घाटों पर अब भी चचरी ही आवागमन का सहारा बना हुआ है. जबकि सरकार पुल-पुलिये बनाकर आवागमन सुलभ करने के नाम पर अरबों रुपये खर्च किये जा चुके है. स्थिति भयावह तब हो जाती है, जब बाढ़ आने के बाद उसकी तेज धारा में यह चचरी पुल बह जाती है. ऐसा तो हर साल होता है जिसके बाद लोग या तो नदी तैर कर या नाव की सवारी कर अपना काम चलाते हैं. इतना ही नही सिर्फ बकरा नदी के तीरा घाट में ही अब तक 15 लोगों की डूबकर मौत हो चुकी है.

जिले के करीब सभी प्रखंडों में ऐसा घाट है जहां चचरी ही एक मात्र सहारा है. उसी में भरगामा प्रखंड के बिलेनिया नदी के खुटहा जहद घाट, धनेश्वरी पंचायत के जहद घाट, बरमोटरा घाट, ईदगाह घाट पर चचरी पुल से ही आवाजाही होती है. रानीगंज प्रखंड में फरियानी नदी के कदम घाट, बड़हरा घाट, कारी कोशी नदी के लच्छा घाट पर आज भी वहां के लोग चचरी पुल से ही आते-जाते हैं. पलासी प्रखंड के बकरा नदी के बिजवार घाट पर चचरी ही एक सहारा.

इस चचरी से प्रतिदिन बिजवार टोला, छपनिया उत्तर टोला, छपनियां शेरशाह बादी टोला, छपनियां मंडल टोला के हजारो ग्रामीण इसी होकर आवाजाही करते हैं. अररिया नगर परिषद वार्ड संख्या 29 बसंतपुर मरना टोला के लोगों को नाव से ही आवाजाही करनी पड़ती है. इन्हें नाव से ही परमान धार पार करना पड़ता है. जबकि यहां की आबादी करीब पांच हजार है. यहां के लोग टैक्स भी देते हैं, लेकिन शहर वाली कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं है.

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