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सभी कार्यों को अनुशासन में रहकर ही करना श्रेयस्कर

सत्संग में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

अररिया. सत्संग में समय की पाबंदी होती है. सब कार्य समय से ही करना चाहिए. गुरु भगवान के बताए रास्ते पर चलने के लिए समय का पाबंद होना ही होगा. इसमें लापरवाही व कोताही घातक है. मनमानी बिल्कुल नहीं चलेगी. ये बातें सोमवार को स्थानीय ओम नगर स्थित प्राइम हॉल में चल रहे त्रिदिवसीय आंतरिक रामाश्रम सत्संग के चौथे व अंतिम सिटिंग के दौरान स्थानीय आचार्य बिनोद प्रसाद ने कही. उन्होंने कहा कि ईश्वर कृपा तो तब प्राप्त होगी जब आप अपने आप पर कृपा करेगें. नहीं तो आप सोते रहेगें और कृपा आकर भी वापस चली जायेगी. उन्होंने सत्संगियों के लिए तीन जरूरी नियम पर बल देते हुए कहा कि पहले गुरु द्वारा बतायी गयी क्रिया को निश्चित समय पर एक भी संध्या बिना नागा किए करना है. इतना अनुशासन का तो पालन करना होगा. उसके बाद स्वयं को गुरु शक्ति से चार्ज करने के लिए साप्ताहिक सत्संग करने, बीच-बीच में आयोजित भंडारे में जाकर सत्संग करने, वर्ष में एक बार राष्ट्रीय स्तर के सत्संग मथुरा, टुन्डला, जयपुर जाकर सत्संग करना व खुद को सत्संग के योग्य बनाए रखना हर सत्संगी का कर्तव्य है. उन्होंने वर्तमान समय में मोबाइल का उदाहरण देते हुए कहा कि भौतिक पदार्थ मोबाइल को अपडेट रखने के लिए आप उनके चार्ज करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं. आप हमेशा एक्टिव रहते हैं कि आपका मोबाइल कभी डिस्चार्ज ना हो. क्योंकि मोबाइल बंद होते ही मोबाइल वाले सारे कारोबार बंद हो जायेंगे. किसी से बात नहीं हो पाएगी हम सबसे अलग-थलग पड़ जायेंगे.

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