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अपने ही घर में बेगाना पुलवामा में तैनात जवान, परिवार को सिर छिपाने की जगह नहीं

अररिया : पति देश की सेवा में पुलवामा में तैनात है. पत्नी बिहार पुलिस की सेवा में है. दोनों की तकलीफ अपने ही घर में सिर ना छिपा सकने की है. परिवार अनुमंडल कार्यालय का चक्कर लगा रहा है, लेकिन, सुनवाई नहीं हो रही है. सारा मामला अररिया जिला के फारबिसगंज प्रखंड के मटियारी मौजा […]

अररिया : पति देश की सेवा में पुलवामा में तैनात है. पत्नी बिहार पुलिस की सेवा में है. दोनों की तकलीफ अपने ही घर में सिर ना छिपा सकने की है. परिवार अनुमंडल कार्यालय का चक्कर लगा रहा है, लेकिन, सुनवाई नहीं हो रही है. सारा मामला अररिया जिला के फारबिसगंज प्रखंड के मटियारी मौजा का है. सीआरपीएफ जवान सूरज कुमार राय कश्मीर के पुलवामा में तैनात है. उनकी पत्नी कविता राय मधुबनी जिले के फुलपरास थाने में सिपाही के पद पर तैनात है. दूसरी तरफ दंपत्ति और उनके बूढ़े माता-पिता को दबंग घर से बेघर करने में लगे हैं. मटियारी मौजा की जमीन की सूरज राय के पिता मदन राय ने रजिस्ट्री करायी थी. जब भी जवान का परिवार जमीन पर निर्माण कार्य शुरू करते हैं तो दबंग मारपीट करने लगते हैं.

अपनी ही मिट्टी से जुदा होने का डर
पीड़ित जवान का परिवार कई बार प्रशासन से मदद की गुहार लगा चुका है. लेकिन, प्रशासन भी उक्त जमीन पर कब्जा दिलाने में कामयाब नहीं हो पाया. जबकि, दूसरे पक्ष का कहना है कि बगैर दस्तावेज के अंचल कार्यालय ने जमीन का दाखिल-खारिज कर लगान रसीद काट दिया है. सीआरपीएफ जवान सूरज कुमार राय के पिता मदन राय के मुताबिक पड़ोस के कुछ लोग 2008 में खरीदी गयी पांच डिसमिल जमीन पर घर बनाने नहीं दे रहे. उन्होंने नियम के मुताबिक जमीन का नियमानुसार रजिस्ट्री करा लिया था. आज तक उस जमीन पर कब्जा नहीं हो पाया है. जब भी जमीन पर निर्माण कार्य की कोशिश करते हैं तो पड़ोसी रोक देते हैं. कई बार प्रशासन से गुहार लगायी. इसके बावजूद जमीन पर कब्जा नहीं हो सका.
कब्जा के लिए SDO की पहल जरुरी
मामले में फारबिसगंज के सीओ संजीव कुमार का कहना है कि जमीन को लेकर अमीन की रिपोर्ट मिली है. रिपोर्ट के मुताबिक जमीन विवादित है. जमीन का कब्जा बिना अनुमंडल अधिकारी के हस्तक्षेप के नहीं हो सकता. वहीं दूसरे पक्ष के संजय राय का कहना है कि जमीन का नेचर सिकमी है. जवान के पिता ने जमीन को कायमी बताकर रजिस्ट्री कराया है. उनके पास म्यूटेशन का कागज भी नहीं है. अब, सच क्या है इसका खुलासा तो जांच के बाद ही होगा. फिलहाल इतना ही कहा जा सकता है कि देश की सेवा में तैनात जवान के परिवार को सिर छिपाने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. देखना होगा पीड़ित परिवार की गुहार के बाद प्रशासन क्या पहल करती है. जमीन पर जवान के परिवार का कब्जा होता है या नहीं.

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