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5 IPL टीमों ने ठुकराया, दिल्ली कैपिटल्स ने 8.40 करोड़ देकर कश्मीर के ‘डेल स्टेन’ को अपनाया

Auqib Nabi Dar: दिल्ली कैपिटल्स ने इंडियन प्रीमियर लीग 2026 की नीलामी में जम्मू- कश्मीर के तंज गेंदबाज आकिब नबी डार पर पैसों की बारिश कर दी और उन्हें बड़ी बोली लगाकर 8.40 करोड़ रुपये में अपनी टीम में शामिल किया. हालांकि नबी को आईपीएल में आने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी और कई बार वर रिजेक्ट भी हुए. फिर घरेलू सर्किट में शानदार प्रदर्शन कर उन्होंने आईपीएल फ्रेंचाइजियों का ध्यान अपनी ओर खींचा.

Auqib Nabi Dar: जब आकिब नबी डार दिल्ली कैपिटल्स के लिए मिचेल स्टार्क के साथ नई गेंद से गेंदबाजी करने उतरेंगे, तो यह हाल के भारतीय क्रिकेट के सबसे अप्रत्याशित सफरों में से एक होगा. अबू धाबी में आईपीएल मिनी-नीलामी में चौंका देने वाली ₹ 8.40 करोड़ में खरीदे गए ‘कश्मीर के डेल स्टेन’ कहे जाने वाले यह खिलाड़ी सबसे बड़े मंच पर एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी के रूप में नहीं, बल्कि एक अनुभवी घरेलू बल्लेबाज के रूप में पहुंचे हैं. नबी का बेस प्राइस ₹ 30 लाख से 28 गुना अधिक दाम मिले हैं. नबी को यह मौका एक ही बार में नहीं मिला, बल्कि यह बार-बार किए गए प्रयासों का नतीजा है. पिछले कुछ वर्षों में, उन्होंने कम से कम पांच या छह आईपीएल फ्रेंचाइजी – मुंबई इंडियंस, राजस्थान रॉयल्स, कोलकाता नाइट राइडर्स, गुजरात टाइटंस और सनराइजर्स हैदराबाद के लिए ट्रायल दिए, लेकिन उन्हें कोई अनुबंध नहीं मिला. 5 IPL teams rejected but Delhi Capitals signed Auqib Nabi Dar for Rs 8 40 crore

पिछले सीजन में भी दिल्ली की नजर में थे नबी डार

दिल्ली कैपिटल्स ने पिछले साल भी उनमें रुचि दिखाई थी और उन्हें ट्रायल के लिए बुलाया था, लेकिन राज्य स्तरीय शिविर के कारण वे उपस्थित नहीं हो सके. जब इस साल की नीलामी में उनका नाम फिर से सामने आया, तो कई टीमों ने उन्हें ठुकरा दिया, जिसके बाद दिल्ली कैपिटल्स ने चार टीमों के बीच बोली लगाकर उन्हें अपने साथ जोड़ने की होड़ मचा दी. इस चयन से पहले टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए नबी ने कहा था, ‘मैंने एमआई, आरआर, केकेआर, जीटी और SRH के लिए ट्रायल दिए हैं. पिछले साल DC ने मुझे बुलाया था, लेकिन मैं नहीं जा सका. मैं IPL में खेलना चाहता हूं, इससे मुझे बारामूला में अकादमी शुरू करने का अपना सपना पूरा करने में मदद मिलेगी.’

शुरुआत में क्रिकेट खेलने के खिलाफ थे डार के पिता

यह सपना उनकी पृष्ठभूमि से गहराई से जुड़ा हुआ है. बारामूला में पले-बढ़े नबी एक ऐसे परिवार में बड़े हुए जहां शिक्षा को सर्वोपरि माना जाता था. उनके पिता, गुलाम नबी डार, एक सरकारी स्कूल में अंग्रेजी शिक्षक हैं और उन्होंने अपने बेटे के लिए एक बिल्कुल अलग भविष्य की कल्पना की थी. नबी ने याद करते हुए कहा, ‘मैं पढ़ाई में अच्छा था और मेरे पिता का सपना था कि मैं डॉक्टर बनूं. मेरे पिता मुझसे कहते थे कि पढ़ाई बहुत जरूरी है. जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया तो वे बहुत नाराज हुए थे. अंडर-19 टीम में चुने जाने के बाद उन्होंने मेरा साथ देना शुरू कर दिया. उससे पहले वे इसके खिलाफ थे. अब वे मेरे सबसे बड़े प्रशंसक हैं.’

स्पाइक्स उधार मांग दिया ट्रायल

शुरुआत में क्रिकेट अनौपचारिक था. गलियों में टेनिस बॉल से मैच खेले जाते थे, कोई उचित मैदान नहीं थे और पेशेवर तेज गेंदबाजी की मांगों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. नबी ने कहा, ‘मेरे लिए, यह सब गली क्रिकेट से शुरू हुआ. हमारे पास कभी कोई उचित मैदान नहीं था. मुझे तो यह भी नहीं पता था कि तेज गेंदबाज को स्पाइक्स की जरूरत होती है. जम्मू में अपने पहले जेकेसीए ट्रायल के दौरान उन्हें इस वास्तविकता का कड़ा झटका लगा. उसे याद करते हुए नबी ने कहा, ‘मैं स्तब्ध रह गया था. मैंने 500 रुपये के स्पोर्ट्स शूज पहने हुए थे. फिर मैंने एक सीनियर खिलाड़ी से स्पाइक्स उधार लिए.’

3 साल तक लगातार हुए रिजेक्ट, अब हैं स्टार

इतना सब करने के बावजूद उनका चयन नहीं हुआ. दो-तीन साल तक उन्हें लगातार अस्वीकृति का सामना करना पड़ा. जब अंततः 2016 में, जो उनका अंतिम योग्य वर्ष था, उन्हें जम्मू-कश्मीर की अंडर-19 टीम में जगह मिली तो वह चार दिवसीय क्रिकेट के लिए थी न कि वनडे प्रारूप के लिए. उनके लिए कूच बिहार ट्रॉफी निर्णायक साबित हुई. जम्मू और कश्मीर के लिए उनके अथक प्रदर्शन ने उस सपने को साकार होने दिया. नबी को सफलता 2018 में विजय हजारे ट्रॉफी में डेब्यू के साथ मिली, हालांकि चोट ने उनकी गति रोक दी. उन्होंने 2020 में रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया और तब से वह जम्मू-कश्मीर के लिए सभी प्रारूपों में सबसे भरोसेमंद तेज गेंदबाज बने हुए हैं.

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AmleshNandan Sinha
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अमलेश नंदन सिन्हा प्रभात खबर डिजिटल में वरिष्ठ खेल पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता में 15 से अधिक वर्षों का अनुभव है. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद से इन्होंने कई समाचार पत्रों के साथ काम किया. इन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत रांची एक्सप्रेस से की, जो अपने समय में झारखंड के विश्वसनीय अखबारों में से एक था. एक दशक से ज्यादा समय से ये डिजिटल के लिए काम कर रहे हैं. खेल की खबरों के अलावा, समसामयिक विषयों के बारे में भी लिखने में रुचि रखते हैं. विज्ञान और आधुनिक चिकित्सा के बारे में देखना, पढ़ना और नई जानकारियां प्राप्त करना इन्हें पसंद है.

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