आईसीसी विश्वकप 2017 के फाइनल में भारत को इंग्लैंड ने मात्र नौ रन से हरा दिया, जबकि आठ गेंदें फेंकी जानी शेष थी. भारत का सात विकेट मात्र 30 रन बटोरने की जुगत में गिर गया और वर्ल्ड कप हाथ से निकल गया. हम भले ही इस हार का जश्न मना रहे हैं क्योंकि हमारे देश में महिलाओं की सामाजिक स्थिति बेहतर नहीं, इसलिए उनकी यह उपलब्धि माने रखती है. लेकिन खेल के लिहाज से काबिलेगौर बात यह है कि हमें इस उपलब्धि पर आत्ममुग्ध नहीं हो जाना चाहिए, बल्कि इस कोशिश में जुट जाना चाहिए कि भविष्य में हमें और जीत मिले.
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मिताली राज ध्यान दें, जीत की भूख खत्म नहीं होनी चाहिए…
आईसीसी विश्वकप 2017 के फाइनल में भारत को इंग्लैंड ने मात्र नौ रन से हरा दिया, जबकि आठ गेंदें फेंकी जानी शेष थी. भारत का सात विकेट मात्र 30 रन बटोरने की जुगत में गिर गया और वर्ल्ड कप हाथ से निकल गया. हम भले ही इस हार का जश्न मना रहे हैं क्योंकि हमारे […]
टीम इंडिया की कप्तान मिताली राज ने कहा कि उन्हें टीम की उपलब्धियों पर गर्व है, नि:संदेह गर्व होना चाहिए, क्योंकि हमारी टीम बेहतर खेली और फाइनल तक पहुंची. लेकिन एक कप्तान के तौर मिताली राज भी इस बात से चिंतित होंगी कि आखिर क्यों उनकी टीम ने मात्र 30 रन जोड़ने में सात विकेट गंवा दिया. राज ने स्वीकारा भी है कि लड़कियां घबरा गयी थीं, लेकिन सवाल यह है कि जब टीम आईसीसी का वर्ल्ड कप खेल रही है और वह भी फाइनल मुकाबला तो खिलाड़ियों में इतनी संकल्पशक्ति तो होनी ही चाहिए.
ICC महिला विश्वकप के फाइनल में मिली हार में छुपे हैं जीत के कई निशान
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मिताली राज के साथ-साथ टीम के हर सदस्य को इस बात पर गौर करना होगा कि भविष्य में टीम ऐसी स्थिति में ना आये, बल्कि वह ऐसी स्थिति में जीतना सीखें, तभी भारतीय लड़कियों को पूरा क्रिकेट जगत नोटिस करेगा.
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