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रमजान का पहला रोजा रखने वालों के पिछले गुनाह हो जाते हैं माफ

रमजान अजमत व बरकत का महीना है, जो लोग रमजान का पहला रोजा रखते हैं उसके सब पीछे के गुनाह माफ कर दिये जाते हैं. हर रोज सुबह की नमाज से सूरज के डूबने तक सत्तर हजार फरिश्ते उसके लिए मगफिरत की दुआ करते हैं

भागलपुर : रमजान अजमत व बरकत का महीना है, जो लोग रमजान का पहला रोजा रखते हैं उसके सब पीछे के गुनाह माफ कर दिये जाते हैं. हर रोज सुबह की नमाज से सूरज के डूबने तक सत्तर हजार फरिश्ते उसके लिए मगफिरत की दुआ करते हैं. रोजेदार जितनी नमाज रमजान के महीने में पढ़ेगा हर सजदे के बदले एक पेड़ मिलेगा. जिसके साये में वह 500 साल तक चलता रहेगा. अल्लाह के पैगंबर साहब ने फरमाया कि रमजान में अगर कोई रोजेदार को इफ्तार कराता है, तो उसे जहन्नुम से बरी कर दिया जायेगा.

उक्त बातें खानकाह पीर दमड़िया के सज्जादानशीन सैयद शाह हसन मानी ने कही. उन्होंने बताया कि रमजान में तराबीह का अपना अलग महत्व है. तराबीह के नमाज के हर सजदे के बदले डेढ़ हजार नेकियां मिलती है. तराबीह पढ़ने वालों को जन्नत में एक घर सुर्ख याकूत से बना होगा, जिसके 60 हजार दरवाजे होंगे. हर दरवाजे से संबंधित एक महल होगा, जो सुर्ख याकुत और सोने का बना होगा.

रोजेदार के लिए जन्नत को अल्लाह पूरे साल सजाते संवारते हैं, जो लोग रमजान में एहतेकाफ करते हैं. उसे दो हज व उमरे के बराबर सवाब मिलता है. रमजान में रोजेदार की दुआ कबूल होती है. रमजान में अल्लाह ने कुरान-ए-पाक को नाजिल किया. यह हमारी जिम्मेदारी होनी चाहिये कि इस लॉक डाउन में गरीब, असहाय लोगों को जहां तक संभव हो उसे जकात, सदका दें, ताकि उसे किसी तरह की कोई असुविधा न हो. मौके पर लोगों से चाहिये कि वह अपने घरों में नमाज-ए-तराबीह अदा करें.

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