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Chandraghanta Mata Chalisa Lyrics: नवरात्रि के तीसरे दिन जरूर करें मां चंद्रघंटा की चालीसा का पाठ, तभी सफल होगी पूजा

Chandraghanta Mata Chalisa Lyrics:नवरात्रि के तीसरे दिन माता दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप को समर्पित है. इस दिन माता चंद्रघंटा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. माना जाता है कि इस दिन मां की आराधना के साथ यदि उन्हें समर्पित चंद्रघंटा चालीसा का पाठ किया जाए, तो माता प्रसन्न होती हैं. इस आर्टिकल में हमने चंद्रघंटा चालीसा के लिरिक्स प्रस्तुत किया हैं.

Chandraghanta Mata Chalisa Lyrics: नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है. मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की आराधना से व्यक्ति को साहस, आत्मबल और मानसिक शांति प्राप्त होती है. इस दिन पूजा-पाठ के साथ मां चंद्रघंटा को समर्पित चालीसा का पाठ करने का विशेष महत्व है. माना जाता है कि ऐसा करने से माता प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद प्रदान करती हैं. 

मां चंद्रघंटा चालीसा

दोहा

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता.

नमस्तस्यै नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः..

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चौपाई

नमो नमो दुर्गे सुख करनी.

नमो नमो अंबे दुःख हरनी..

निराकार है ज्योति तुम्हारी.

तिहूं लोक फैली उजियारी..

शशि ललाट मुख महा विशाला.

नेत्र लाल भृकुटी विकराला..

रूप मातुको अधिक सुहावे.

दरश करत जन अति सुख पावे..

तुम संसार शक्ति मय कीना.

पालन हेतु अन्न धन दीना..

अन्नपूरना हुई जग पाला.

तुम ही आदि सुंदरी बाला..

प्रलयकाल सब नासन हारी.

तुम गौरी शिव शंकर प्यारी..

शिव योगी तुम्हरे गुण गावैं.

ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावै..

रूप सरस्वती को तुम धारा.

दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा..

धरा रूप नरसिंह को अम्बा.

परगट भई फाड़कर खम्बा..

रक्षा करि प्रहलाद बचायो.

हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो..

लक्ष्मी रूप धरो जग माही.

श्री नारायण अंग समाहीं..

क्षीरसिंधु मे करत विलासा.

दयासिंधु दीजै मन आसा..

हिंगलाज मे तुम्हीं भवानी.

महिमा अमित न जात बखानी..

मातंगी धूमावति माता.

भुवनेश्वरी बगला सुख दाता..

श्री भैरव तारा जग तारिणी.

क्षिन्न भाल भव दुःख निवारिणी..

केहरि वाहन सोहे भवानी.

लांगुर वीर चलत अगवानी..

कर मे खप्पर खड्ग विराजै.

जाको देख काल डर भाजै..

सोहे अस्त्र और त्रिशूला.

जाते उठत शत्रु हिय शूला..

नगर कोटि मे तुमही विराजत.

तिहुं लोक में डंका बाजत..

शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे.

रक्तबीज शंखन संहारे..

महिषासुर नृप अति अभिमानी.

जेहि अधिभार मही अकुलानी..

रूप कराल काली को धारा.

सेन सहित तुम तिहि संहारा..

परी गाढ़ संतन पर जब-जब.

भई सहाय मात तुम तब-तब..

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और परंपरागत जानकारियों पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

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Neha Kumari
Neha Kumari
प्रभात खबर डिजिटल के जरिए मैंने पत्रकारिता की दुनिया में पहला कदम रखा है. यहां मैं एक इंटर्न के तौर पर काम करते हुए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों से जुड़े विषयों पर कंटेंट राइटिंग के बारे में सीख रही हूं.

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