Margashirsha Month 2025: कार्तिक मास के बाद आने वाला अगहन या मार्गशीर्ष मास भगवान श्री विष्णु के पूर्णावतार भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित माना गया है. यह महीना अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी होता है. श्रीकृष्ण के साथ इस अवधि में माता लक्ष्मी तथा अन्य देवी-देवताओं की पूजा करना भी शुभ फलदायी होता है. मार्गशीर्ष मास को पितरों की तृप्ति और मोक्ष प्राप्ति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है. इस महीने में श्रद्धा, भक्ति और सदाचार का पालन करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है.
मार्गशीर्ष माह में क्या नहीं करें
- इस शुभ मास में मांस, मदिरा और अन्य तामसिक पदार्थों का सेवन वर्जित बताया गया है. शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से प्राप्त पुण्यफल नष्ट हो जाता है.
- हिंदू परंपरा में इस महीने जीरे का सेवन भी निषिद्ध माना गया है, क्योंकि यह शरीर की तपशक्ति को कम करता है और साधना में बाधा डालता है.
- इस समय व्यक्ति को अहंकार, आलस्य, छल-कपट, ईर्ष्या, क्रोध और लोभ जैसे दोषों से दूर रहना चाहिए. झूठ बोलना, दूसरों की निंदा करना या किसी का अपमान करना भी इस काल में अनुचित माना गया है. विशेष रूप से गुरु, माता-पिता या वरिष्ठजनों का अनादर करने से मार्गशीर्ष माह का पुण्य नष्ट हो जाता है. इसके विपरीत, उनका आशीर्वाद लेना अत्यंत शुभ और कल्याणकारी माना गया है.
- इस महीने में पितरों के प्रति श्रद्धा रखना, तर्पण या श्राद्ध कर्म करना विशेष फलदायी होता है. कहा गया है कि पितरों की निंदा करने या उनके प्रति उपेक्षा दिखाने से अशुभ फल प्राप्त होते हैं.
- किसी को अपशब्द या कटु वचन नहीं कहना चाहिए, क्योंकि ऐसे कर्मों का नकारात्मक प्रभाव स्वयं के जीवन पर पड़ता है.
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मार्गशीर्ष मास का महत्व
भगवान श्रीकृष्ण ने भगवद्गीता में कहा है — “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” अर्थात् महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूँ. यह वचन स्वयं इस मास की पवित्रता और महत्ता को दर्शाता है. मार्गशीर्ष माह भगवान विष्णु की उपासना, व्रत, दान और ध्यान का सर्वोत्तम काल है. इस महीने के गुरुवार, जिन्हें मार्गशीर्ष गुरुवार कहा जाता है, विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं. इस अवधि में की गई पूजा, भक्ति और दान से व्यक्ति को पापों से मुक्ति, मानसिक शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है. यह महीना ईश्वर के प्रति भक्ति, पवित्रता और कृतज्ञता का प्रतीक है.
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